परिवार के साथ जिंदगी के अनुभव कर रहे साझा
कोरोना वायरस की महामारी को लेकर लगाए गए लॉकडाउन में लोग घर में परिवार के साथ रहकर समय व्यतीत कर रहे हैं। यह बच्चों व बुजुर्गों के लिए अनोखा अनुभव है।
दयानंद तनेजा, सीवन: कोरोना वायरस की महामारी को लेकर लगाए गए लॉकडाउन में लोग घर में परिवार के साथ रहकर समय व्यतीत कर रहे हैं। यह बच्चों व बुजुर्गों के लिए अनोखा अनुभव है। आजकल की व्यस्त दुनिया में किसी परिवार के पास मिल कर बैठने का समय ही नहीं था। लेकिन बीमारी के कारण अब सभी के पास समय ही समय है। 77 वर्षीय भीष्म पितामह सरदाना खेती काम करते थे। अपने बच्चों को बताते है कि साइकिल, रेडियो, मोटर साइकिल, टेलीविजन उनके समय में ही आए है। रेडियो गांव के किसी किसी के पास होते थे। चीन भारत युद्ध के समय दरी बिछा कर इकट्ठे बैठ कर समाचार देखते। बुधवार रात को आठ बजे अमीन सयानी की बिनाका गीतमाला, रविवार को फिल्म का इंतजार सभी को रहता था। इससे पहले यह सुविधा नहीं नहीं थी, टेलीविजन एक अचंभा था कि तस्वीर भी रेडियो जैसे बक्से में आ सकती है।
आज तो मोबाइल में ही सारी दुनिया सिमटी हुई है। उन्होंने जिंदगी में बड़ी मेहनत की है और कई बार कठिन समय देखा है। उस समय भी इतनी कठिन स्थिति नहीं थी जितनी इस समय देखने को मिल रही है। अब तो एक अंजान रहस्यमय दुश्मन से बचने के लिए हम अपने घरों में बैठे हैं और ऐसा करना समझदारी भी है।
सरदाना की पत्नी 75 वर्षीय धर्म देवी घरेलू महिला है। धार्मिक विचारों की है व बच्चों को अपने अनुभव बताती रहती हैं। बच्चों को घर में रहने बाहर जाने पर दूरी बना कर रखने मास्क लगाने को कहती रहती है। उनके पुत्र सुरेंद्र सरदाना ने वकालत के बाद खेती को प्राथमिकता दी है और वह प्रगतिशील किसान है। पुत्रवधु ममता मेहता भी एडवोकेट है। पोती यशिका शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। बच्चों को दादी की कहानियां और किस्से और उनके अनुभव बहुत पसंद आ रहे हैं। वह इस छुट्टियों में शिक्षा के साथ साथ बहुत आनंद ले रहे हैं।