मूंदड़ी गांव में नहीं बनेगी संस्कृत यूनिवर्सिटी
पंकज आत्रेय, कैथल मूंदड़ी गांव में बनने वाले प्रदेश के पहले संस्कृत विश्वविद्यालय का निर्माण खट
पंकज आत्रेय, कैथल
मूंदड़ी गांव में बनने वाले प्रदेश के पहले संस्कृत विश्वविद्यालय का निर्माण खटाई में पड़ गया है। सरपंच ने इसके लिए जमीन देने से इंकार करते हुए सरकार व प्रशासन के सामने शर्तो की दीवार खड़ी कर दी है। दूसरी तरफ प्रशासन ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर मूंदड़ी के लोग यहां संस्थान नहीं चाहते हैं तो किसी और गांव में सही लेकिन जिले में महर्षि वाल्मीकि के नाम से संस्कृत विश्वविद्यालय जरूर बनेगा।
बता दें कि 24 अक्टूबर 2015 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण बेदी ने महर्षि वाल्मीकि प्रगट दिवस पर समागम का आयोजन किया था, जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मूंदड़ी में महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए पंचायत ने 20 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव पास किया था लेकिन अब नई पंचायत आ गई है तो तेवर भी बदल गए हैं।
नौकरी और दाखिले चाहिए
मूंदड़ी की सरपंच बाला देवी व उनके पति सुभाष का कहना है कि सरकार के सामने उन्होंने कुछ शर्ते रखी हैं। हम अगर यूनिवर्सिटी के लिए 20 एकड़ जमीन दे रहे हैं तो हमें भी कुछ मिलना चाहिए। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां गांव के युवाओं को मिलें। दाखिलों में हमने गांव के बच्चों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण मांगा है। पांच प्रतिशत ही दे दें लेकिन देना चाहिए। अगर यह शर्ते नहीं मानीं हम जमीन नहीं देंगे।
प्रशासन कर रहा प्रताड़ित
सुभाष ने आरोप लगाया कि प्रशासन उन्हें प्रताड़ित कर रहा है। पिछले डीसी ने तो नोटिस भी जारी कर दिया था। इसमें चूल्हा टैक्स न भरने, विकास के लिए ग्रांट में रुचि न लेने और समिति के ड्यूज नहीं भरने की बात कही गई थी। उन्होंने जब दूसरे गांवों से संपर्क किया तो पाया कि किसी ने भी चूल्हा टैक्स नहीं भरा है। इससे जाहिर है कि उन्हें फंसाकर हटाना चाहते हैं।
किसी और गांव में बना देंगे
डीसी संजय जून ने बताया कि मूंदड़ी की सरपंच को बुलाया गया था। उनसे विश्वविद्यालय की स्थापना के संदर्भ में बातचीत हुई लेकिन वे कई तरह की शर्ते रख रही हैं। उनकी बातों से लगता है कि वे प्रोजेक्ट के लिए गंभीर नहीं हैं। जिले के बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए यह एक महत्वपूर्ण संस्थान होगा। अगर मूंदड़ी में नहीं तो चाहते तो किसी और गांव के लिए सुझाव दिए जाएंगे।
मूंदड़ी ही क्यों चुना गया
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर करनाल रोड पर स्थित गांव मूंदड़ी को लव-कुश की धरती माना जाता है। किवंदती है कि भगवान श्रीराम से अलग होकर माता सीता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में इसी गांव में रही थी। यहीं लव-कुश का जन्म और शिक्षा-दीक्षा हुई। इनके नाम से यहां तीर्थ भी है। इसलिए महर्षि वाल्मीकि के नाम से यहां संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी।