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12 रूटों पर घाटे में दौड़ रही रोडवेज बसें, सवारियां फुल उसके बाद भी नुकसान

शहर से गांवों में जाने वाले विभिन्न 12 रूटों पर रोडवेज की बसें घाटे में चल रही हैं। इन रूटों पर बसें सवारियों से भरी रहती हैं। सवारियां फुल होने के बावजूद विभाग को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन गांवों में विभाग की बसें दो से तीन चक्कर लगाती हैं। रोडवेज की बसें 12 रूटों पर घाटे में चल रही हैं। इन रूटों में मुख्य रूप से कैथल-गांव आगौंध कैथल-सेरहदा कुकरकंडा कैथल-कलायत कमालपुर कैथल-गुहणा कुराड पिलनी कैथल-पोलड वाया खुराना

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 06:36 AM (IST)
12 रूटों पर घाटे में दौड़ रही रोडवेज बसें, सवारियां फुल उसके बाद भी नुकसान
12 रूटों पर घाटे में दौड़ रही रोडवेज बसें, सवारियां फुल उसके बाद भी नुकसान

सुनील जांगड़ा, कैथल

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शहर से गांवों में जाने वाले विभिन्न 12 रूटों पर रोडवेज की बसें घाटे में चल रही हैं। इन रूटों पर बसें सवारियों से भरी रहती हैं। सवारियां फुल होने के बावजूद विभाग को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन गांवों में विभाग की बसें दो से तीन चक्कर लगाती हैं। लगभग हर गांव में सुबह और शाम के समय तो चक्कर जरूर लगाया जाता है। इसके अलावा कुछ गांव में दोपहर में भी बसें जाती हैं। सुबह शाम पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या ज्यादा होती है, जो पास रखते हैं। इसके अलावा इन रूटों पर चलने वाले ग्रामीण भी टिकट नहीं लेते हैं। सक्रिय वाट्सएप ग्रुपों के कारण विभाग को ज्यादा नुकसान हो रहा है। अगर बस स्टैंड से चेकिग टीम इन रूटों पर जाती है, तो कुछ ही देर में छात्रों और ग्रामीणों तक इसका मैसेज भी चला जाता है। जिस दिन टीम जाती है, उस दिन सभी टिकट ले लेते हैं और टीम न जाए तो सभी फ्री में ही यात्रा करते हैं। इसके लिए भी छात्रों ने कोड बनाया हुआ है, मौसम खराब है का मतलब है कि आगे चेकिग टीम खड़ी है और मौसम साफ है का मतलब आगे टीम नहीं खड़ी है। चेकिग टीम एक दिन में एक या दो रूटों पर ही चेकिग कर पाती है।

डिपो को रोजाना हो रहा 50 से 60 हजार रुपये का नुकसान

बसें घाटे में चलने से डिपो को रोजाना 50 से 60 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। गांव की दूरी और किराये के हिसाब से एक बस को एक चक्कर के साथ एक हजार से तीन हजार रुपये का घाटा हो रहा है। बस में कुल 52 सीटें होती हैं और इसके अलावा भी यात्री बसों में खड़े होकर सफर करते हैं। हर गांव में दो चक्कर कम से कम बसें लगाती हैं।

बस बंद होते ही सड़क पर उतर जाते छात्र

विभाग की ओर से घाटे पर चल रही बसों को बंद भी नहीं किया जा सकता। अगर किसी रूट पर बसें बंद भी की गई हैं, तो वहां के स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्र सड़कों पर जाम लगा देते हैं। जाम खुलवाने के लिए दोबारा से बसों को रूटों पर चलाया जाता है। कुछ युवाओं ने संगठन बना रखे हैं, जो गांव में बसें चलवाने के लिए धरने प्रदर्शन तक करते हैं। विभाग को न चाहते हुए भी घाटे पर बसों को चलाना पड़ रहा है।

ये रूट हैं घाटे वाले

रोडवेज की बसें 12 रूटों पर घाटे में चल रही हैं। इन रूटों में मुख्य रूप से कैथल-गांव आगौंध, कैथल-सेरहदा कुकरकंडा, कैथल-कलायत कमालपुर, कैथल-गुहणा कुराड पिलनी, कैथल-पोलड वाया खुराना, कैथल-गांव सौंगरी गुलियाना, कैथल-गांव मुन्ना रहेड़ी, कैथल-गांव बालू जुलानी खेड़ा, कैथल-गांव करोड़ा, कैथल-पाई, कैथल-चौशाला और कैथल-किठाना शामिल हैं। इसके अलावा भी कुछ लोकल गांव के रूटों पर घाटे में बसें चल रही हैं। रोडवेज महाप्रबंधक रामकुमार ने बताया कि गांव के कुछ रूटों पर बसें घाटे में चल रही है। इन रूटों पर यात्रा करने वाले यात्री टिकट नहीं लेते। चेकिग करने के लिए टीम भी इन रूटों पर जाती है। टीम के निकलते ही छात्रों के वाट्सएप ग्रुपों में टीम की सूचना पहुंच जाती है। जिस दिन टीम जाती है उस दिन यात्री टिकट ले लेते हैं। उनका यात्रियों से अनुरोध है कि वे टिकट लेकर ही बसों में यात्रा करें।


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