बदल रही बेटियों के प्रति सोच, घोड़ी पर सवार होकर मंडप पहुंची 11 दुल्हनें
समाज में बेटियों के प्रति सोच बदलने लगी है। पुरानी परंपराओं को बदलने के लिए लोग आगे आ रहे हैं। कैथल में 11 दुल्हनें घोड़ी पर सवार होकर मंडप तक पहुंची।
जेएनएन, धनौरी (कैथल)। समाज बदल रहा है। रिवाज बदल रहे हैं। रविवार को यह संदेश दे रही थीं कैथल के धनौरी गांव में एक साथ दुल्हन बनीं 11 युवतियां, जो घोडि़यों पर सवार होकर गांव के सरकारी स्कूल में बने मंडप तक पहुंचीं और घुड़चढ़ी की रस्म निभाई। इस खास पल को देखने के लिए भारी भीड़ मंडप स्थल पर जमा थी। इसमें धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक शख्सियतें भी शामिल थीं।
करीब नौ घंटे चले इस वैवाहिक कार्यक्रम में प्रत्येक व्यक्ति ने निजी आयोजन की भांति जिम्मेदारी निभाई। इस पहल का श्रेय जाता है ग्राम सुधार युवा संगठन प्रधान जोगेंद्र ढांडा और समारोह संयोजक चंद्रभान सिंगला को। जोगेंद्र सिंह ने बताया कि चंद्रभान सिंगला के मार्गदर्शन में संस्था का मकसद मात्र बेटियों के हाथ पीले करना नहीं है बल्कि वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाए रखने के लिए वर वधू के साथ-साथ सास-ससुर, जेठ-जेठानी, देवर-ननद व परिवार के अन्य सदस्यों को घरेलू कलह जैसी बुराई को मिटाने का संकल्प कराना भी है।
बेटी के हाथ किए पीले
नोएडा में डिग्री कालेज चला रही धनौरी गांव की बेटी कौशल्या ने खुद एक बेटी को घोड़ी पर सवार किया। इसके साथ ही उन्होंने इस दिशा में संस्था को हर स्तर पर सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि यह नारी सशक्तीकरण की दिशा में एक सराहनीय और सशक्त पहल है।
भिवानी ने की थी पहल
इस तरह की रस्म छह साल पहले पहली बार भिवानी में एक दुल्हन की घुड़चढ़ी से शुरू हुई थी। उसके बाद भी यदा-कदा बेटियों के प्रति संवेदनशील लोग ऐसे आयोजन करते रहे। अभी हाल ही में फतेहाबाद में एक दुल्हन बग्घी में सवार होकर बैंडबाज के साथ बरात लेकर पहुंची और विवाह रचाया।
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