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ब्याज दर को लेकर राइस मिलर और आढ़ती आमने-सामने

धान की खरीद के बाद पेमेंट नहीं होने तक लगने वाली ब्याज की दरों का विरोध करते हुए राइस मिलर हड़ताल पर चले गए हैं। कच्चे आढ़तियों ने भी राइस मिलरों के इस निर्णय को लेकर मंडी में बैठक की। इसमें दोनों मंडियों के प्रधान भी शामिल हुए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 11:28 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:28 PM (IST)
ब्याज दर को लेकर राइस मिलर  और आढ़ती आमने-सामने
ब्याज दर को लेकर राइस मिलर और आढ़ती आमने-सामने

जागरण संवाददाता, कैथल :

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धान की खरीद के बाद पेमेंट नहीं होने तक लगने वाली ब्याज की दरों का विरोध करते हुए राइस मिलर हड़ताल पर चले गए हैं। कच्चे आढ़तियों ने भी राइस मिलरों के इस निर्णय को लेकर मंडी में बैठक की। इसमें दोनों मंडियों के प्रधान भी शामिल हुए।

आढ़तियों ने बताया कि आढ़त के नियमों के अनुसार जब तक राइस मिलर कमीशन एजेंटों की बकाया राशि का भुगतान नहीं करते, तब तक उस पर ब्याज बढ़ता रहता है। ब्याज में बढ़ोतरी भी समय के अनुसार होती रहती है। यह पांच पैसे प्रति सैकड़ा से शुरू होती है और पेमेंट ज्यादा समय तक नहीं होने पर एक रुपया 65 पैसे तक चली जाती है।

उन्होंने बताया कि जिन आढ़तियों का मिलरों के पास पिछले काफी समय से बकाया पड़ा है, उनको इससे काफी नुकसान हो सकता है। मिलर फसल बेचने के साथ ही डेढ़ रुपये ब्याज लगाने की मांग कर रहे हैं, जिससे वे सहमत नहीं हैं। उन्होंने मांग की कि ब्याज की दरों को पहले की तरह रखा जाए और उनमें किसी प्रकार का बदलाव न किया जाए।

बैठक में नई मंडी प्रधान कृष्ण मित्तल, पुरानी मंडी प्रधान जोगध्यान गोयल, ईश्वर चंद, प्रदीप ¨सगला, श्रवण क्योड़क, सतीश रोहेड़ा, जयपाल, लाजपत ¨सगला, जयकिशन मान, रामनिवास व पवन कुमार मौजूद थे।

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ये हैं ब्याज दर के नियम :

बैठक में मौजूद आढ़तियों ने बताया कि जब कमीशन एजेंट फसल राइस मिलरों को बेचता है तो बेची गई फसल का दस दिन तक वे ब्याज नहीं लगाते। इसके बाद 10 से 50 दिन के समय में भी दस दिन का ब्याज नहीं लिया जाता। 50 से 120 दिन के अंतराल में पेमेंट नहीं होने तक ब्याज की दर डेढ़ रुपये हो जाती है। अगर फिर भी भुगतान न हो तो यह बढ़कर एक रुपया 65 पैसे हो जाती है। जबकि राइस मिलर इसमें बदलाव की मांग कर रहे हैं, जिससे वे असहमत हैं।

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बिक्री का इंतजार करते रहे

किसान, खाली बैठे मजदूर

मंडी में हड़ताल होने से धान की फसल बेचने आए किसानों और आढ़तियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। काम नहीं होने के कारण मजदूर खाली बैठे रहे। मंडी में धान की खरीद नहीं होने के कारण फसल लेकर पहुंचे किसान बिक्री का इंतजार करते रहे। किसानों ने बताया कि अगर उन्हें हड़ताल के बारे में पता होता तो वे एक दिन बाद भी फसल को मंडी में ला सकते थे। दूसरी ओर मजदूर भी काम नहीं होने के कारण खाली बैठे रहे।

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हड़ताल के चलते

नहीं बिकी फसल

गांव सांघन से 1121 किस्म की धान लेकर पहुंचे किसान लख¨वद्र ¨सह ने बताया कि वह मंडी में सुबह धान की फसल लेकर आया था। यहां आकर पता चला है कि मंडी में हड़ताल चल रही है। आज फसल बिकेगी या नहीं इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते।

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न राजौंद में और न ही

कैथल में हो रही खरीद :

राजौंद से नई अनाज मंडी में धान लेकर पहुंचे किसान जयपाल ¨सह ने बताया कि वह बासमती-30 धान की फसल लेकर मंडी में आया है। राजौंद में भी फसल नहीं बिकी और यहां भी हड़ताल चल रही है। आज फसल बिकने की भी कोई संभावना नजर नहीं आ रही।

बॉक्स : ब्याज दरों को कम करने की मांग

हरियाणा राइस मिलर एसोसिएशन के प्रधान अमरजीत छाबड़ा ने बताया कि ब्याज की दरें ज्यादा होने के विरोध में मिलरों ने हड़ताल की है। एसोसिएशन ब्याज दरों को कम करने की मांग कर रही है। दरें कम नहीं होने तक या फिर एसोसिएशन के आगामी निर्णय तक हड़ताल जारी रहेगी।


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