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कैथल व कलायत से चुनाव लड़ रहे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

जिले की चारों विधानसभा में से हॉटसीट कैथल व कलायत पर राजनेताओं की विशेष नजर है। कैथल विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर कद्दावर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला तीसरी बार चुनाव मैदान में है वहीं कलायत से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश चुनाव दंगल में है। दोनों ही अपने-अपने विस क्षेत्र से मौजूदा विधायक हैं। इन दिग्गज नेताओं को मात देने के लिए इस बार भाजपा ने नए चेहरों पर दांव खेला है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 09:47 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 06:28 AM (IST)
कैथल व कलायत से चुनाव लड़  रहे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
कैथल व कलायत से चुनाव लड़ रहे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

सुरेंद्र सैनी, कैथल : जिले की चारों विधानसभा में से हॉटसीट कैथल व कलायत पर राजनेताओं की विशेष नजर है। कैथल विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर कद्दावर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला तीसरी बार चुनाव मैदान में है, वहीं कलायत से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश चुनाव दंगल में है। दोनों ही अपने-अपने विस क्षेत्र से मौजूदा विधायक हैं। इन दिग्गज नेताओं को मात देने के लिए इस बार भाजपा ने नए चेहरों पर दांव खेला है।

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कैथल से पूर्व विधायक लीला राम तो कलायत से पूर्व मंत्री नरसिंह ढांडा की पत्नी कमलेश ढांडा को प्रत्याशी बनाया है। इन दोनों सीटों पर इस बार आमने-सामने का मुकाबला माना जा रहा है, हालांकि जजपा ने कलायत से पूर्व विधायक सतविद्र सिंह राणा व कैथल से खुराना गांव के सरपंच रामफल मलिक को मैदान में उतारकर दोनों पार्टियों के हार-जीत के समीकरणों को बिगाड़ दिया है।

कैथल सीट से अगर सुरजेवाला जीते तो अपने लिए जीत की हैट्रिक और कांग्रेस के लिए जीत का चौका लगाने में सफल रहेंगे। अगर हारे तो राजनीतिक रूप से काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।

यही स्थिति कलायत विधानसभा क्षेत्र की है। यहां से दिग्गज नेता जयप्रकाश जीते तो वे पहले ऐसे विधायक होंगे जो लगातार दूसरी बार यहां से जीत दर्ज करते हुए रिकार्ड बनाएंगे। अगर हारे तो यहां कांग्रेस पार्टी की लगातार तीसरे हार होगी। 2009 के चुनाव में इस सीट से इनेलो के रामपाल माजरा ने कांग्रेस के तेजीमान को हराया था। 2014 में निर्दलीय चुनाव मौजूदा विधायक जयप्रकाश ने जीता था और कांग्रेस प्रत्याशी चौथे स्थान पर रहा था। वहीं अगर कैथल व कलायत सीट से भाजपा जीती तो पहली बार कमल खिलेगा।

गुहला सीट पर भी दिग्गज

नेताओं व युवा चेहरों में जंग

जिले की एक मात्र आरक्षित सीट गुहला विधानसभा में कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व सीपीएस दिल्लूराम बाजीगर नौवां चुनाव लड़ रहे हैं। अब तक वे इस क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं। अगर सफल रहे तो जीत का चौका लगाएंगे। अगर असफल रहे तो कांग्रेस के लिए हार की हैट्रिक होगी। भाजपा ने 2014 का चुनाव यहां से जीता था, लेकिन मौजूदा विधायक का टिकट काटकर युवा चेहरा रवि तारांवाली को मैदान में उतारा है। अब तक हुए 12 चुनाव में भाजपा मात्र एक बार ही यहां जीत पाई है। जजपा ने ईश्वर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। दिग्गज नेता ईश्वर सिंह, दिल्लू राम बाजीगर की युवा चेहरा रवि तारांवाली, निर्दलीय मैदान में उतरे देवेंद्र हंस से मुकाबला माना जा रहा है।

पूंडरी में क्या इस बार बदलेंगे राजनीतिक समीकरण

विधानसभा क्षेत्र पूंडरी में अब तक 12 विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें वर्ष 1996 से लगातार निर्दलीय जीतते आ रहे हैं। इस बार भाजपा व कांग्रेस ने नए चेहरों पर दांव खेला है। वहीं भाजपा से बागी मौजूदा विधायक दिनेश कौशिक व रणधीर सिंह गोलन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। निर्दलीय जीते तो जीत का छक्का लगेगा, अगर हारे तो 25 सालों का रिकार्ड बनेगा। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से 52 हजार की बढ़त बनाई थी। अब देखना यह है कि इस विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को इसका फायदा मिलेगा या नहीं।

2014 में ये थी जिले की स्थिति

विधानसभा चुनाव 2014 में जिले में भाजपा एक सीट गुहला ही जीत पाई थी। अन्य तीन सीटों पर कैथल से कांग्रेस की सीट पर रणदीप सिंह सुरजेवाला, कलायत से आजाद प्रत्याशी जयप्रकाश, पूंडरी से आजाद प्रत्याशी दिनेश कौशिक विधायक बने थे।

मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशियों का समीकरण फेल

चारों विधानसभा सीटों पर हार-जीत को लेकर सब की निगाहें हैं। प्रत्याशियों को मतदाताओं की चुप्पी परेशान कर रही है। प्रत्याशी अपनी गोटी बैठाने के लिए सुबह से ही गांव-गांव चक्कर काट रहे हैं। रातभर प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं के साथ देहात व शहर के वोटरों के समीकरण को लेकर चर्चा करते हुए नजर आए। खासकर विधानसभा क्षेत्र के जो बड़े बूथ हैं, उन पर विशेष नजर रखी जा रही है। इन बूथों पर प्रत्याशी विशेष कार्यकर्ताओं की टीमें तैनात करते हुए ज्यादा से ज्यादा वोट अपने पक्ष में डलवाने को लेकर विशेष योजना तैयार की है।


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