बच्चों को सुना रहीं बंटवारे की दास्तान
कारोना वायरस की महामारी के चलते लगाए गए लॉक डाउन में लोग घरों में रह कर समय व्यतीत कर रहे हैं। ऐसे में संयुक्त परिवार में एक साथ रह रहे लोग आपस में इकट्ठे बैठ कर अपने अपने अनुभव सांझे कर रहे हैं।
दयानंद तनेजा, सीवन: कारोना वायरस की महामारी के चलते लगाए गए लॉक डाउन में लोग घरों में रह कर समय व्यतीत कर रहे हैं। ऐसे में संयुक्त परिवार में एक साथ रह रहे लोग आपस में इकट्ठे बैठ कर अपने अपने अनुभव सांझे कर रहे हैं। बच्चे अपने दादा-दादी के अनुभवों से बहुत कुछ सीख रहे हैं। बच्चों को अपने बुजुर्गों के जीवन के अनुभव सुनने को मिल रहे हैं।
सीवन निवासी 84 साल की राधा बाई ने बताया कि पाकिस्तान-भारत बंटवारे में जब वह पाक से आए हैं, तब से लेकर अब तक उन्होंने कई मुसीबतें देखी हैं और कई दुखों का सामना किया है, जो कभी भुलाई नहीं जा सकती। लेकिन आज का समय उन सभी से भिन्न है। वह बताती हैं कि उनके पति उत्तम चंद तनेजा 1947 में पाक से भारत आए थे और 23 मार्च 1948 भारती आर्मी में देश की सेवा के लिए भर्ती हुए।
राधा बाई ने बताया कि उनका विवाह 1952 में हुआ। उनकी दो लड़की एक लड़का हैं। लड़का नरेंद्र कुमार अपने कारोबार में है। उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण लॉकडाउन ने परिवार को इकट्ठे बैठना सीखा दिया है। बच्चों के पास पहले समय ही नहीं होता था। अब वह लोग आपस में अपने अपने विचार सांझा करते हैं। उन्होंने चीन व दो पाक के युद्ध इमरजेंसी का समय भी देखा, लेकिन जो अब के हालात उस समय के हालातों से बिलकुल अलग हैं। आज हम घरों में बैठ कर कोरोना वायरस से मुकाबला कर रहे हैं। वह बच्चों को लॉॅक डाउन का पालन करने शारीरिक दूरी बनाए रखने, बार-बार साबुन से हाथ धोने, मास्क लगाने और घर में रहने की सलाह देते हैं।
उनके पुत्र नरेंद्र कुमार 64 वर्ष ने बताया कि उन्हें अपने बुजुर्गों से बहुत कुछ सीखने को मिला। अच्छे संस्कार, सादा भोजन उच्च विचार के बताए मार्ग पर चल रहे हैं। उनकी पत्नी कैलाश, पुत्र अमन अध्यापन के कार्य में है। पुत्रवधू शालू भी अध्यापिका हैं। अमन का पुत्र सुखरीत अभी पांच साल का है। चारों पीढ़ी मिल बैठ कर समय व्यतीत कर रही है, अच्छा अनुभव है।