मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में निजी अस्पताल रहे बंद, मरीजों को आई परेशानी
नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2019 के विरोध में निजी अस्पताल संचालकों ने देशव्यापी हड़ताल का समर्थन करते हुए बुधवार को अपने अस्पताल बंद रखे। आइएमए के जिला प्रधान डा. प्रवीण गर्ग ने बताया कि बिल के विरोध में यह हड़ताल की गई है।
जागरण संवाददाता, कैथल : नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2019 के विरोध में निजी अस्पताल संचालकों ने देशव्यापी हड़ताल का समर्थन करते हुए बुधवार को अपने अस्पताल बंद रखे। आइएमए के जिला प्रधान डा. प्रवीण गर्ग ने बताया कि बिल के विरोध में यह हड़ताल की गई है। सभी चिकित्सकों ने इसका समर्थन करते हुए अपने-अपने अस्पताल बंद रखे।
प्रधान ने कहा कि हड़ताल पर जाने का उद्देश्य नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का विरोध करना है। मरीजों दुखी हो चिकित्सक भी नहीं चाहते हैं लेकिन इस तरह के काले कानून लागू करना ठीक नहीं है। कैथल सहित जिलेभर के करीब 90 प्राइवेट अस्पताल बंद रहे। इन अस्पतालों में बुधवार को ओपीडी नहीं हुई। हालांकि इमरजेंसी सेवाएं बहाल रही। ओपीडी के लिए दूर-दराज के गांव से आए लोगों को अस्पताल बंद होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा। मरीजों को बिना इलाज के मायूस होकर घरों की ओर लौटना पड़ा। अल्ट्रासाउंड केंद्र भी बंद रहे।
जन विरोधी है बिल
आइएमए के कोषाध्यक्ष डॉ. राज कुमार गर्ग, डॉ. एसके सिगल, डॉ. रणजीत अहलावत, डॉ.विनोद गौतम, डॉ. एसएन सिगला, डीपी गुप्ता, डॉ. जसमेर, डॉ. विजय ने कहा कि सरकार द्वारा लाया जा रहा नेशनल मेडिकल कमीशन बिल जन विरोधी, गरीब विरोधी, आधुनिक मेडिकल शिक्षा विरोधी काला कानून है। अगर यह बिल पास होकर कानून बनता है तो भारत में मेडिकल शिक्षा महंगी हो जाएगी। शिक्षा का स्तर गिर जाएगा। गरीबों के लिए इलाज महंगा हो जाएगा। प्राइवेट मेडिकल कॉलेज अपनी मर्जी से 50 प्रतिशत सीटों पर फीस निर्धारित कर सकेंगे। नेशनल मेडिकल कमीशन में सरकार द्वारा नामित नुमाइंदे होंगे व कमीशन सरकार की कठपुतली होगी। मेडिकल के छात्रों का भविष्य अधर में लटक जाएगा, क्योंकि पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए उन्हें केवल एक ही मौका मिलेगा। गरीब व्यक्ति अपने बच्चे को डॉक्टर बनाने का सपना नहीं संजो पाएगा।