गर्भवती महिलाएं इलाज को खा रही धक्के
जिला नागरिक अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए एक तरह से जंग लड़नी पड़ रही है। अपनी बारी पहले आने के लिए महिलाएं 30 से 40 किलोमीटर दूर तक एक घंटा पहले ही ओपीडी के बाहर पहुंच जाती है लेकिन जांच व इलाज मुश्किल से मिल पाता है।
जागरण संवाददाता, कैथल :
जिला नागरिक अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए एक तरह से जंग लड़नी पड़ रही है। अपनी बारी पहले आने के लिए महिलाएं 30 से 40 किलोमीटर दूर तक एक घंटा पहले ही ओपीडी के बाहर पहुंच जाती है, लेकिन जांच व इलाज मुश्किल से मिल पाता है।
अस्पताल में रोजाना 350 के करीब महिलाओं की ओपीडी व 800 के करीब प्रतिमाह डिलीवरियां हो रही हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां सुविधाएं न के बराबर है। ओपीडी के बाहर गर्भवती महिलाओं के बैठने के लिए कुर्सियां तो लगाई हुई हैं, लेकिन महिलाओं की संख्या को देखते हुए बहुत कम हैं। इस कारण काफी महिलाएं जमीन पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करती रहती हैं।
200 बेडों के अस्पताल में गायिनी वार्ड के लिए 60 बेड लगाए हुए हैं, लेकिन डिलीवरी ज्यादा होने के कारण ये बेड भी कम पड़ रहे हैं। रात के समय डिलीवरी के लिए आने वाली गर्भवती महिलाएं जमीन पर बैठकर घंटों तक बेड मिलने का इंतजार करती हुई नजर आती हैं। पूर्व में अस्पताल के शौचालय में डिलीवरी होने के केस भी सामने आ चुके हैं।
बाक्स- अस्पताल में साढ़े 11 बजे
के बाद नहीं होतेटेस्ट
जिला नागरिक अस्पताल में सात सालों से अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है। इस कारण गर्भवती महिलाओं को काफी दिक्कत आ रही है। सिविल अस्पताल में जांच करवाने के बाद महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए दो किलोमीटर दूर सिटी में आना पड़ता है। यहां एक से दो घंटे बाद अल्ट्रासाउंड होने पर फिर से अस्पताल जाना पड़ता है। इसी तरह से पूरा दिन जांच व इलाज में बर्बाद हो जाता है। इस मांग को लेकर शहरवासी न केवल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों बल्कि मंत्रियों को भी ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वहीं, अस्पताल में साढ़े 11 बजे के बाद टेस्ट नहीं होते। इसके बाद चिकित्सक के टेस्ट लिखने पर मरीजों को अगले दिन फिर से अस्पताल आना-जाना पड़ता है।
वर्जन : बेहतर सेवाएं देने का रहता प्रयास
जिला नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉ. दिनेश कंसल ने कहा कि कम चिकित्सक होने के बावजूद बेहतर सेवाएं देने का प्रयास रहता है। गर्भवती महिलाओं की जांच व इलाज प्राथमिकता से होती है, तभी अस्पताल में इतनी ओपीडी व डिलीवरी हो रही हैं। फिर भी कोई कमियां है तो उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाएगा।