अनोखा है तीर्थ कसाण व कपिल मुनि धाम
कुरुक्षेत्र के 48 कोस परिधि के तहत आने वाली कलायत उपमंडल के गांव मटौर में स्थित श्री तीर्थ कसाण और कलायत श्री कपिल मुनि धाम को प्राचीन काल से सुरंग के माध्यम से बड़ा ताल्लुक माना जाता है।
संवाद सहयोगी, कलायत : कुरुक्षेत्र के 48 कोस परिधि के तहत आने वाली कलायत उपमंडल के गांव मटौर में स्थित श्री तीर्थ कसाण और कलायत श्री कपिल मुनि धाम को प्राचीन काल से सुरंग के माध्यम से बड़ा ताल्लुक माना जाता है। इस तीर्थ का वर्णन महाभारत, वामन पुराण और भागवत पुराण में है। श्री तीर्थ कसाण महंत कौल दास और सुमेर दास बताते हैं कि श्रीतीर्थ कसाण और श्री कपिल मुनि धाम को जोड़ने वाली करीब 8 किलोमीटर तक की सुरंग से जुड़े तथ्य आज भी अस्तित्व में है। श्रीतीर्थ नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 31 किलोमीटर दूर कैथल से भगवान कपिल मुनि की जन्म स्थली कपिल मुनि तीर्थ कलायत से श्रीमार्कंडे ऋषि की जन्म स्थली मुकटेस्वर तीर्थ मटौर से एक कोस पश्चिम में मटौर-सिमला मार्ग पर कसाण नामक स्थान में स्थित है। नारद पुराण में ऐसा उल्लेख है कि जो मनुष्य श्री तीर्थ में स्नान करके के बाद भगवान शालीग्राम के दर्शन करके भगवान श्री हरि व माता लक्ष्मी का पूजन करता है वह एक रात्रि निवास करता है उसका जीवन निहाल हो जाता है। तीर्थ के पानी को आसपास खड़े वृक्षों और जड़ी-बुट्टियों के कारण औषधीय जल माना जाता है। परिणामस्वरूप इसमें स्नान करने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। इस धारणा को लेकर बड़ी संख्या में लोग यहां स्नान और पूजन के लिए आते हैं।
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संस्था सदस्य बीडी बंसल, राकेश कांसल, पंडित सतपाल शर्मा, पंडित रमेश, राजा राम मटौर, जगमग मटौर, प्रमोद कांसल ने बताया कि श्री तीर्थ कसाण के मन्दिर परिसर बनी मनमोहक झांकियों में कृष्ण जन्म, वासुदेव द्वारा जमुना पार करना, शेषनाग के द्वारा भगवान श्री कृष्ण पर छांव करना, भीष्म पितामह का बाणों सैईया पर लेटना, मीरा बाई का भजन गुनगान करना, भगवान श्री कृष्ण का माखन चुराना, भगवान शिव का प्राचीन मंदिर, सबकी मनोकामना पूरी करने वाले बाबा संत शिरोमणि संदोख दास की समाधि व हाथी-घोड़े पर सवार योद्धाओं व पशु-पक्षियों का भी चित्रण है।