फार्मासिस्टों के हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित
स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। इसके चलते मरीजों को दवाई लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जिला नागरिक अस्पताल में मरीजों की लंबी कतार डिस्पेंसरी के सामने लगी रही।
जागरण संवाददाता, कैथल :
स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। इसके चलते मरीजों को दवाई लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जिला नागरिक अस्पताल में मरीजों की लंबी कतार डिस्पेंसरी के सामने लगी रही। प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तो हालात इससे भी बदतर नजर आए। वहीं फार्मासिस्टों की हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवाएं बंद रही, क्योंकि कई पीएचसी व सीएचसी अस्पताल ऐसे हैं जहां चिकित्सकों की लंबे समय से नियुक्ति नहीं हो पाई है। ये केंद्र फार्मासिस्ट के भरोसे ही चल रहे हैं, अब फार्मासिस्टों के हड़ताल पर जाने के कारण लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। दवा लेने के लिए यहां आ रहे मरीज वापस लौटने को मजबूर हैं।
उधर, सिविल अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे फार्मासिस्टों से मिलने के लिए सिविल सर्जन डॉ. सुरेंद्र नैन पहुंचे। उन्होंने कर्मचारियों को काम पर लौटने की बात कही, लेकिन कर्मचारियों ने इसे ठुकराते हुए धरना जारी रखा। इसके बाद सिविल सर्जन ने अस्पताल परिसर का दौरा किया और इमरजेंसी सेवाएं, डिस्पेंसरी व कई ओपीडी में गए। डिस्पेंसरी के बाहर लगी मरीजों की कतार को लेकर व्यवस्था बनाने के लिए सुरक्षा गार्डो को निर्देश जारी किए।
फार्मासिस्टों की मांग को
लेकर गंभीर नहीं सरकार
फार्मासिस्ट सुशील कुमार, अनिल कुमार, वीरेंद्र गुप्ता, सुनीता, प्रवीन, बाला ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। कर्मचारी लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कुलदीप चीमा व ईश्वर सिंह ने कहा कि पूरे जिले के फार्मासिस्ट मास कैज्यूल लिव की मांग पर धरने पर बैठे हुए हैं। कई जगह फार्मेसी एक्ट का उल्लंघन करके दवाइयां बांटी जा रही है। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी, क्योंकि फार्मेसी एक्ट के अनुसार फार्मासिस्ट ही दवाई दे सकता हैं। जब तक 4600 ग्रेड पे की मांग पूरी नहीं होती, तब तक फार्मासिस्टों का संघर्ष जारी रहेगा। फार्मासिस्टों के धरने का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिलबाग सिंह मोर, सर्व कर्मचारी संघ सहित अन्य कर्मचारी संगठनों ने पहुंचकर समर्थन किया।