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दो साल से खराब पड़ी है लीथोट्रिप्सी मशीन, पथरी के आपरेशन को लेकर मरीजों को आ रही दिक्कत

जिला नागरिक अस्पताल में पथरी के आपरेशन को लेकर दो साल से खराब पड़ी लिथोट्रिप्सी मशीन को ठीक करवाने के लिए दस लाख रुपये के बजट की मंजूरी को लेकर विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। उम्मीद है कि सितंबर माह में मशीन ठीक हो जाएगी। इसके बाद पथरी के आपरेशन को लेकर मरीजों को कोई दिक्कत नहीं आएगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 11:44 PM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 11:44 PM (IST)
दो साल से खराब पड़ी है लीथोट्रिप्सी मशीन, पथरी के आपरेशन को लेकर मरीजों को आ रही दिक्कत
दो साल से खराब पड़ी है लीथोट्रिप्सी मशीन, पथरी के आपरेशन को लेकर मरीजों को आ रही दिक्कत

जागरण संवाददाता, कैथल : जिला नागरिक अस्पताल में पथरी के आपरेशन को लेकर दो साल से खराब पड़ी लिथोट्रिप्सी मशीन को ठीक करवाने के लिए दस लाख रुपये के बजट की मंजूरी को लेकर विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। उम्मीद है कि सितंबर माह में मशीन ठीक हो जाएगी। इसके बाद पथरी के आपरेशन को लेकर मरीजों को कोई दिक्कत नहीं आएगी।

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बता दें कि पिछले करीब दो सालों से लिथोट्रिप्सी मशीन खराब पड़ी हुई है। फ्रांस से आई यह मशीन करीब तीन करोड़ रुपये की है, इस मशीन पर अब तक 100 के करीब आपरेशन ही हुए हैं, लेकिन कोरोना महामारी के चलते मशीन पहले बंद पड़ी रही, जब कोरोना महामारी का संक्रमण कम हुआ तो मशीन को चलाया गया, लेकिन कुछ दिनों बाद ही मशीन खराब हो गई। इस मशीन के खराब होने से पथरी के आपरेशन को लेकर लोगों को दिक्कत आ रही है। इसी प्रकार एक एक्स-रे मशीन भी खराब पड़ी हुई है। इस करण एक्स-रे रिपोर्ट देरी से मिल रही है। चिकित्सकों को ज्वाइन करने का आज अंतिम दिन

जिला स्वास्थ्य विभाग को अब तक 37 नए चिकित्सक मिल चुके हैं, लेकिन पूरे जिले में मात्र 15 चिकित्सकों ने ही ज्वाइन किया है। इनमें से एक बाल रोग विशेषज्ञ को छोड़ कर बीमारियों के विशेषज्ञ चिकित्सक ने अभी तक कोई ज्वाइन नहीं किया है, जबकि शुक्रवार को ज्वाइन करने का अंतिम दिन है। अगर चिकित्सक ज्वाइन नहीं करते, तो वेटिग में जिन चिकित्सकों का लिस्ट में नाम आया है, उन्हें मौका दिया जाएगा। जिला नागरिक अस्पताल को कुल 21 चिकित्सक मिले थे, इनमें से अब तक दस चिकित्सकों ने ही ज्वाइन किया है। बीमारियों के विशेषज्ञ चिकित्सक न आने के कारण विभाग की चिता बढ़ रही है। अब अस्पताल में मात्र 16 विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, इनमें से हार्ट, बेहोशी का चिकित्सक नहीं है। दो सर्जन, फिजिशियन तीन, गायिनी तीन, हड्डी रोग विशेषज्ञ दो, नेत्र रोग विशेषज्ञ दो, गला-कान-नाक रोग विशेषज्ञ दो चिकित्सक कार्यरत हैं। मनोरोग विशेषज्ञ चिकित्सक भी एक है। बेहोशी का चिकित्सक न होने के कारण काफी परेशानी आ रही है। अस्पताल में रोजाना 1500 की ओपीडी

जिला नागरिक अस्पताल 200 बेडों का है, यहां रोजाना 1500 के करीब ओपीडी है। 100 बेडों का पोर्टेबल अस्पताल भी शुरू हो चुका है। यहां एनसीडी कार्यक्रम व कोरोना महामारी को लेकर आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के चलते मरीजों को दूरी से इलाज मिल रहा है। लिथोट्रिप्सी मशीन को ठीक करवाने के लिए पत्र लिखा गया है। करीब दस लाख रुपये की लागत इस पर आनी है। उम्मीद है कि जल्द ही मशीन ठीक हो जाएगी। मशीन के ठीक होने के बाद आपरेशन को लेकर कोई परेशानी नहीं आएगी।

डा. रेनू चावला, कार्यकारी सिविल सर्जन


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