पंचायती राज अधिकार को लागू कराने के लिए पंचायतें लामबंद
पंचायती राज एक्ट के 73वां संशोधन जो 1992 में संसद ने पास किया था को लागू करवाने के लिए पंचायतें लामबंद हो रही हैं। पंचायतों की नीति अब वोट के बदले 73वें संशोधन को लागू करवाना है। इसके लिए पंचायत जन-प्रतिनिधियों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी हैं।
जागरण संवाददाता, कैथल : पंचायती राज एक्ट के 73वां संशोधन जो 1992 में संसद ने पास किया था को लागू करवाने के लिए पंचायतें लामबंद हो रही हैं। पंचायतों की नीति अब वोट के बदले 73वें संशोधन को लागू करवाना है। इसके लिए पंचायत जन-प्रतिनिधियों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी हैं। शुक्रवार को कैथल में पूरे जिले से 20 के करीब सरपंच बीडीपीओ कार्यालय में एकत्र हुए और रणनीति पर विचार विमर्श किया। इस कार्य में कानूनी और संवैधानिक बातों को समझने के लिए लोक स्वराज मंच भी पंचायतों का सहयोग कर रहा है। चुनाव से पहले हुंकार भरने के लिए 23 मार्च को शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस पर इस्माइलाबाद से पंचायतों को एकजुट करके आंदोलन की शुरुआत होगी। राज्य स्तरीय कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से जन प्रतिनिधि भाग लेंगे। सरपंचों का मानना है कि यह संशोधन लागू होने से ग्राम पंचायतें सशक्त होंगी और उन्हें पैसे व गांव के विकास के लिए सरकारों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
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ये है रणनीति
ग्राम पंचायतों की मानें तो प्रदेश की ज्यादातर आबादी गांव में रहती है। वोट मांगने के लिए नेता गांव की गलियां घूमते हैं, लेकिन वोट लेने के बाद दोबारा दिखाई नहीं देते हैं। पहली रणनीति ये है कि पंचायतों को लामबंद कर सरकार पर अधिनियम के 73वें संशोधन को लागू करने का दबाव बनाया जाए। लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बीच करीब चार से पांच महीने का अंतर होगा। लोकसभा चुनाव होने तक पंचायतें प्रदेश सरकार पर दबाव बनाएंगे, क्योंकि विधानसभा चुनाव में वोट लेने के लिए नेताओं के सरपंचों के पास ही जाना है। वोट मांगने वाले हर नेता व पार्टी अध्यक्ष से शपथ पत्र लिया जाएगा, ताकि सरकार बनने पर वादे को पूरा करने के लिए दबाव डाला जा सके।
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पंचायतों को ये मिलेंगे अधिकार
सरपंच प्रतिनिधि प्रवीन किच्छाना व लोक स्वराज मंच के राष्ट्रीय संयोजक व पूर्व आइजी रणबीर शर्मा का मानना है कि यह संशोधन लागू होने के बाद पंचायतों को बहुत से अधिकार मिल जाएंगे। किसी भी काम को करवाने के लिए पंचायतों को नेताओं व अधिकारियों के आगे गिड़गिड़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। संशोधन संसद से पास हो गया, लेकिन राज्य सरकारों ने इसको लागू नहीं होने दिया। यह लागू होने के बाद हर गांव व शहर की अपनी सरकार होगी। संविधान की 11वीं सूची में 29 विषयों को उल्लेख है जो पंचायतों को सामाजिक व न्यायिक अधिकार देते हैं। हर ग्राम पंचायत में ग्राम सभा ही सरकार होगी और गांव के विकास के संबंध में सारे फैसले स्वयं ग्रामीण कर सकेंगे।
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ये सरपंच रहे बैठक में शामिल
बैठक में शामिल होने वालों में कैथल ब्लॉक समिति के चेयरमैन बंसी लाल, गांव संगतपुरा के सरपंच बलजीत, नंद सिंह वाला के सरपंच सुरजीत सैनी, खेड़ी शाकरा से ओमप्रकाश, खेड़ी शेरु से गुरनाम सिंह, देवीगढ़ से गुलाब सिंह, गढ़ी पाडला से रमेश, जाखौली कमान पट्टी से रतन सिंह, नीमवाला से रमेश, सिसला से कृष्ण कुमार, नौच से अनिल, सरपंच रामफल सैनी, पट्टी कौथ से अजैबगीरी, पट्टी दाबदल जाखौली से अनिल, मानस से सरपंच प्रतिनिधि नरेंद्र व गांव किच्छाना से सरपंच प्रतिनिधि प्रवीन राविश मौजूद थे।