कचरा डंपिंग पर किसान और प्रशासन आमने-सामने
शहर के कचरे की डंपिंग पर शहर के कचरे की डंपिंग पर दिनभर उठा-पटक होती रही। किसान धरने पर बैठे हैं और डंपिंग न होने से दो दिन से शहर से कचरे का उठान भी नहीं हो रहा था। डीसी ने नप अधिकारियों को कचरा प्लांट में ही कचरा डालने के आदेश दिए। आदेश मिलने के बाद मुख्य सफाई निरीक्षक सुबह किसानों के बीच पहुंचे और कचरा डालने के लिए कहा। किसानों ने कचरा डालने से मना कर दिया।
जागरण संवाददाता, कैथल : शहर के कचरे की डंपिंग पर दिनभर उठा-पटक होती रही। किसान धरने पर बैठे हैं और डंपिंग न होने से दो दिन से शहर से कचरे का उठान भी नहीं हो रहा था। डीसी ने नप अधिकारियों को कचरा प्लांट में ही कचरा डालने के आदेश दिए। आदेश मिलने के बाद मुख्य सफाई निरीक्षक सुबह किसानों के बीच पहुंचे और कचरा डालने के लिए कहा। किसानों ने कचरा डालने से मना कर दिया। कचरा न डालने की सूचना मिलने के बाद शहर की सरकार और अधिकारी दोबारा किसानों के पास पहुंचे। करीब एक घंटे पार्षदों ने किसानों से बातचीत की और कचरा डालने देने के लिए कहा। किसान नहीं माने। अंत में किसानों ने कहा कि उनके पदाधिकारी बाहर गए हुए हैं, जो 3 अक्टूबर को आ जाएंगे। पार्षद बातचीत कर खाली हाथ वापस लौट गए। उसके बाद नगर परिषद ईओ और पार्षदों ने नगर परिषद कार्यालय में मी¨टग की। फैसला लिया की कचरा सोमवार को ही प्लांट में गिराया जाएगा। दोपहर बाद अधिकारी सिटी पुलिस के साथ प्लांट पर पहुंचे। कचरे से भरी तीन ट्रॉलियां भी खाली कराई गई। तभी कुछ किसान मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन पुलिस ने चेतावनी दी कि अगर काम प्रभावित किया तो एफआइआर दर्जकर दी जाएगी। इससे किसान पीछे हट गए, लेकिन शाम होने के कारण शहर का बाकी कचरा नहीं उठाया गया। अब मंगलवार को कचरा प्लांट में डाला जाएगा। वहीं किसान भी सुबह भारी मात्रा में एकत्रित होकर विरोध कर सकते हैं। 10 पार्षदों और किसानों के बीच एक घंटे चली बातचीत
चेयरपर्सन के पिता सुरेश कश्यप, सचिव कुलदीप मलिक, नप उप प्रधान डॉ. पवन थरेजा सहित 10 पार्षद किसानों से बातचीत के लिए पहुंचे थे। किसानों ने उप प्रधान से कहा कि आप ने पहले भी तीन महीने का समय लिया था, लेकिन उसके बावजूद समस्या का कोई समाधान नहीं हो सका है। किसानों ने कहा कि सारी सुविधाएं शहर के लोगों को दी जा रही है और गांव के लोगों के हिस्से में शहर का कचरा आ रहा है। जिस भूमि पर कचरा प्लांट बनाया गया है, वह भी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए ली गई थी, लेकिन अब पांच सालों से यहां कचरा डाला जा रहा है। पांच साल से एक बार भी दवाई का छिड़काव नहीं किया गया न ही कचरे पर कभी मिट्टी डाली गई। अब धरना शुरू हुआ तो कर्मचारियों ने काम शुरू कर दिया। बातचीत के बाद 3 अक्टूबर का दिन तय किया गया था, लेकिन दोपहर बाद ही कचरा डालना शुरू कर दिया गया।
शहर में लगे कूड़े के ढेर
दो दिन से उठान न होने के कारण शहर में कचरे के ढेर लगे गए हैं। कुछ जगह से सोमवार को कचरा उठाया गया। उठाए गए कचरे को पहले सेक्टर 21 में ही खाली कराया गया। 27 दिन से शहर कचरे की समस्या से जूझ रहा है, लेकिन प्रशासन ने अपने हाथ खड़े कर रखे हैं। प्रशासन ने कुछ नहीं किया तो पार्षदों ने ही किसानों से बातचीत करने की सोची जो असफल रही। शहर से रोजना करीब 60 टन कचरे का उठान होता है। ऐसे में अगर मंगलवार को किसानों से दोबारा से विरोध कर दिया तो शहर के लोगों के लिए समस्या खड़ी हो सकती है। किसान नेता सुखपाल ने बताया कि वे 3 अक्टूबर को कैथल आएंगे। गांव के लोगों को इस बारे में जानकारी दे दी गई है। अगर प्रशासन जबरदस्ती करेगा तो सहन नहीं की जाएगी। उनकी मांग है कि डीसी से बातचीत कराई जाए और उन्हें उचित आश्वासन दिया जाए। नप अधिकारियों ने दोपहर को आश्वासन दिया था कि कचरा नहीं डालेंगे, लेकिन उसके बाद शाम को फिर कचरा डालने पहुंचे गए। नगर परिषद कार्यकारी अधिकारी विक्रम ¨सह ने बताया कि कचरा प्लांट में कचरा डलवाने के प्रशासन के आदेश हैं। आज से कचरा प्लांट में ही डाला जाएगा। अगर कोई किसान विरोध करेगा या काम में बाधा डालेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।