समिति ने की सीएम के पुरानी पेंशन नीति को नकारने की ¨नदा
पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पुरानी पेंशन नीति को नकारने के बयान की ¨नदा की है।
जागरण संवाददाता, कैथल : पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पुरानी पेंशन नीति को नकारने के बयान की ¨नदा की है।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में यह कहते हुए कर्मचारियों की मांग को ठुकरा दी कि पहले ही कर्मचारियों पर सरकारी खजाने का 89.3 प्रतिशत खर्च किया जा रहा है। विजेंद्र धारीवाल ने मुख्यमंत्री के बयान को 30 से 35 वर्ष तक सरकार के लिए सेवाएं देने वाले कर्मचारियों का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि सरकारी सेवाओं में आने वाला कोई भी व्यक्ति सरकार द्वारा निर्धारित योग्यता और विभिन्न प्रक्रियाओं की बाधाओं को पार कर सरकारी नौकरी प्राप्त करता है। संविधान द्वारा कर्मचारियों को पेंशन का अधिकार दिया गया था, लेकिन 2004 में केंद्र व 2006 में राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर न्यू पेंशन स्कीम लागू कर दी। इसमें कर्मचारियों के वेतन का 10 प्रतिशत और इतना ही सरकारी खजाने से डाल कर विभिन्न प्राइवेट कंपनियों द्वारा शेयर मार्केट में लगाया जा रहा है। इसमें ना तो न्यूनतम पेंशन का प्रावधान है ना ही निश्चित रिटर्न की गारंटी है। इतना ही नहीं महंगाई भत्ता और मेडिकल सुविधाएं भी न्यू पेंशन स्कीम में खत्म कर दी गई है।
वहीं, मुख्यमंत्री, सांसद व विधायक बनने के लिए कोई योग्यता नहीं है। हजारों करोड़ रुपये का खर्च हर साल इनको सुविधाएं देने व पेंशन पर खर्च किया जा रहा है। पूर्व विधायकों और सांसदों को ढाई लाख से अधिक की पेंशन दी जाती है। इसके साथ साथ इन्हें बिना ब्याज के ऋण और अन्य सुविधाएं आम जनता के पैसे से दी जा रही हैं। एक-एक पूर्व विधायक व सांसद तीन-तीन पेंशन ले रहा है। समिति मुख्यमंत्री के बयान का विरोध करती है। जल्द ही बैठक कर इसके खिलाफ आंदोलन का ऐलान करेगी।