जाटों को आरक्षण से कम कुछ भी मंजूर नहीं: सीड़ा
संवाद सहयोगी, गुहला-चीका : अखिल भारतीय संघर्ष समिति कैथल द्वारा चलाया जा रहा गांव भागल में धर
संवाद सहयोगी, गुहला-चीका : अखिल भारतीय संघर्ष समिति कैथल द्वारा चलाया जा रहा गांव भागल में धरना 16वें दिन में प्रवेश कर गया। मुख्य वक्ता राजकुमार सीड़ा ने कहा कि जब तक सरकार हमारी सात मांगों को पूरा नहीं करती धरने जारी रहेंगे। सरकार को अब पता चल चुका है कि जाट अब आरक्षण लेकर ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार जाटों समाज का अग्नि परीक्षा चाहती है, जबकि जाट समाज शांति पूर्वक ढंग से अपनी मांगें मनवाने के लिए लोकतांत्रिक व संवैधानिक व्यवस्था का सहारा ले रहा है। धरने को दिनों-दिन सफल हो रहे धरने से घबराकर शासन व प्रशासन तरह-तरह की अफवाहें फैला रहा है जबकि जाट समाज अपने मांगों को पूरा किए बिना कुछ भी कम स्वीकार करने पर किसी भी कीमत पर तैयार नहीं होगा।
नवाब पूनिया ने कहा कि भाजपा सरकार अंग्रेजों वाली नीति अपनाकर फूट डालो और राज करो की नीति पर चल रही है, जबकि आज का जाट समाज पूरी तरह शिक्षित व जागृत हो चुका है। अपने अधिकारों बारे संविधान व कानून की जानकारी रखता है।
उन्होंने जाट समुदाय से आह्वान किया कि बिना किसी डर व भय के 20 मार्च को दिल्ली कूच करें और जब तक मांगे पूरी नहीं हो जाती हम वापस नहीं आएंगे और धरने को सुचारु रूप से माता-बहने चलाएंगी। धरने को बार एसोसिएशन के प्रधान अधिवक्ता करनैल भागल, नरसी पूर्व सरपंच भागल, सुभाष मटोर, भरत हरिगढ़ आज धरने को आदि ने भी संबोधित किया। धरने को रामेश्वर दास व ईश्वर ¨सह पूर्व राज्य सभा सदस्य ने अपना समर्थन दिया।
इस अवसर पर दलीप, अंता ककराली, हिम्मत, धन ¨सह नीमबाला, रामफल, बलजीत ककराली, गुरजंट टटियाना, बलवंत, बलजीत स्योंसर, विरेंद्र माजरा, जसबीर गुर्जर, प्रगट माजरा, कृष्ण मौजूद थे।
जाट समाज ने किया प्रस्ताव पास
धरने को समर्थन न देने वाले 1977 से लेकर अब तक जितने भी जनप्रतिनिधि गुहला विधानसभा क्षेत्र से चुनकर गए हैं। उनसे कहा गया है कि धरने का सीधा-सीधा समर्थन करें। कल तक धरने का समर्थन न करने वाले जनप्रतिनिधियों को जाट समाज द्वारा सामाजिक व राजनीतिक बहिष्कार किया जाएगा। धरने के संबंध में मौन रहना भी धरने का विरोध समझा जाएगा।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य ने भी किया धरने का समर्थन
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य ईश्वर ¨सह भी पहुंचे। लोकतांत्रिक व्यवस्था में संविधान के दायरे में प्रत्येक व्यक्ति को धरना व प्रदर्शन करने का अधिकार है। संविधान के तहत प्रत्येक व्यक्ति को वो सभी चीजें मांगने का अधिकार है जो सरकार द्वारा कानून के तहत दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि जाट समाज द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से चलाए जाने वाली हर गतिविधि का वो समर्थन करते है।
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