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ना टेक्निकल स्टाफ ना प्रशिक्षित ऑपरेटर, कैसे मिले शुद्ध पानी

लोगों को शुद्ध पानी चाहिए। इस समय वाटर सप्लाई को लेकर जो स्थिति बनी हुई है उसके अनुसार तो शुद्ध पेयजल की कल्पना ही नहीं की जा सकती। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है जनस्वास्थ्य विभाग और ग्राम पंचायतों द्वारा की गई नियमों की अनदेखी। वर्ष 2014 में पंचायती राज संस्थाओं को जब जनस्वास्थ्य विभाग ने ट्यूबवेल हैंडओवर किए थे, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इन ट्यूबवेलों पर टेक्निकल ऑपरेटर होना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 01:37 AM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 01:37 AM (IST)
ना टेक्निकल स्टाफ ना प्रशिक्षित ऑपरेटर, कैसे मिले शुद्ध पानी
ना टेक्निकल स्टाफ ना प्रशिक्षित ऑपरेटर, कैसे मिले शुद्ध पानी

जागरण संवाददाता, करनाल : लोगों को शुद्ध पानी चाहिए। इस समय वाटर सप्लाई को लेकर जो स्थिति बनी हुई है उसके अनुसार तो शुद्ध पेयजल की कल्पना ही नहीं की जा सकती। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है जनस्वास्थ्य विभाग और ग्राम पंचायतों द्वारा की गई नियमों की अनदेखी। वर्ष 2014 में पंचायती राज संस्थाओं को जब जनस्वास्थ्य विभाग ने ट्यूबवेल हैंडओवर किए थे, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इन ट्यूबवेलों पर टेक्निकल ऑपरेटर होना चाहिए। ट्यूवबेल को चलाने के लिए सभी संसाधन भी पूरे हों लेकिन नियमों को दरकिनार कर ट्यूबवेलों को ऑपरेट करने लिए ऐसे आदमियों को रख लिया गया है जो नियमों के दायरे से बाहर हैं।

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ग्राम पंचायत ने अपने स्तर पर तो ऑपरेटर रख लिए लेकिन इसके बाद जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी इस ओर मुड़कर नहीं देखा। वाटर सप्लाई से लेकर दवाई डालने व लीकेज ठीक करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को सौंप दी गई पर इसकी सुपरविजन विभाग ने नहीं की।

विभाग के दावों ओर हकीकत का फर्क समझिये

दावा : वाटर सप्लाई के लिए टेक्निकल ऑपरेटर होने चाहिए। जिसकी योग्यता 10वीं पास इसके साथ आइटीआइ का डिप्लोमा हो। या फिर 12वीं पास के साथ साइंस होनी चाहिए। गांव के व्यक्ति को प्राथमिकता देकर लगाया जाएगा।

हकीकत :

ग्राम पंचायतों ने अपने स्तर पर 10वीं पास ऑपरेटर भर्ती कर लिए। उनको पानी की गुणवत्ता के बारे में कोई जानकारी ही नहीं। पानी में हाइपो क्लोरीन की मात्रा कितनी डालनी है और किस समय डालनी है। इसका परिणाम यह निकला लोग दूषित पानी पी रहे हैं। बीमारियां बढ़ रही हैं। विभाग ने सुपरविजन नहीं की। दावा : ट्यूबवेल ऑपरेटर का वेतन 4654 रुपये उनके बैंक अकाउंट में डाला जाएगा।

हकीकत : ज्यादातर ग्राम पंचायतों में ऐसा नहीं है। वेतन भी पूरा नहीं दिया जा रहा है। पड़ताल की तो पता चला कि कई जगह महज 4000 हजार रुपये नकद ही दिए जा रहे हैं। दावा : ट्यूबवेल ऑपरेटर 24 घंटे में तीन बार पानी की सप्लाई देगा, बेहतर वाटर सप्लाई की जिम्मेदारी स्वयं की होगी।

हकीकत : ऑपरेटरों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन बखूबी करने के बजाय जुगाड़ कर लिया। ट्यूबवेलों पर टाइमर लगा दिए गए। लाइट आते ही ट्यूबवेल चल जाते हैं और लाइट जाते ही बंद हो जाते हैं। रोजाना लाखों लीटर पानी की भी बर्बादी हो रही है। क्योंकि जितना पानी चाहिए उससे अधिक सप्लाई हो रहा है। 90 फीसदी गांव की दूषित पानी की समस्या आज तक नही हुई हल

जिले के 350 से अधिक ग्राम पंचायतों को वाटर सप्लाई की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जब से ट्यूबवेलों को हैंडओवर किया गया है, तब से लेकर अब तक स्थिति ओर भी खराब हो गई। क्योंकि जनस्वास्थ्य विभाग के ट्यूबवेल भगवान भरोसे चल रहे हैं। 90 फीसदी गांवों में दूषित पेयजल की समस्या आज भी जस की तस है। पानी सप्लाई की जिम्मेदारी जनस्वास्थ्य विभाग की है लेकिन ग्राम पंचायतों को ट्यूबवेल हैंडओवर करने की बात कहकर विभाग के अधिकारी भी अपनी जवाबदेही से बच रहे हैं।

परिणाम आ रहे सामने

जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलेभर में पानी सप्लाई का जिम्मा ग्राम पंचायत को देने के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। गांवों में दूषित पानी सप्लाई हो रहा है, विभाग मौन है। अधिकारी कहते हैं कि संबंधित ग्राम पंचायत जिम्मेदार है। अब हालात यह हैं कि ना तो समय पर पानी की सप्लाई हो रही है और ना ही लीकेज ठीक कराई जाती है। लोग दूषित पानी पीते हैं और बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। एक्सईएन एसपी जोशी से सीधी बात

पानी के सैंपल फेल आ रहे हैं। लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। विभाग क्या कर रहा है?

हम इस मामले को लेकर गंभीर हैं। जहां पर लीकेज का पता चलता है ग्राम पंचायत के साथ मिलकर समस्या का हल कराते हैं। पड़ताल में सामने आया है कि सामान्य 10वीं पास ट्यूबवेल ऑपरेटर भर्ती कर लिए, जो नियमों के खिलाफ है?

इस सवाल का जवाब हम भी नहीं ढूंढ पाए हैं। पंचायतों ने अपने स्तर पर रखे हुए हैं। ऑपरेटरों को पानी की गुणवत्ता के बारे में जानकारी ही नहीं है तो फिर क्या ऐसे ही लोग दूषित पानी पीते रहेंगे?

हम ऑपरेटरों को जागरूक करते हैं। उनको वाटर सप्लाई संचालक के बारे में जानकारी देते हैं। ग्राम पंचायतों की भी इस मामले में अहम जिम्मेदारी है। वाटर सप्लाई को दुरुस्त करने का जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंपने की बात कर आप जवाबदेही से कैसे बच सकते हैं?

सरकार ने अपने स्तर पर ग्राम पंचायतों को ट्यूबवेल सौंपे थे। जहां पर भी दिक्कत हैं, हम हमेशा साथ खड़े हैं। लीकेज को ठीक कराया जा रहा है।


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