नारायण सेवा संस्थान पांच सालों से बना असहायों का सहारा
नारायण सेवा संस्थान पिछले पांच सालों से गरीब जरूरतमंदों व दिव्यांगों की सेवा कर रहा है। ताकि उन्हें भूखा पेट न सोना पड़े। 2015 में इस संस्थान का गठन किया गया था।
सोनू थुआ: कैथल: नारायण सेवा संस्थान पिछले पांच सालों से गरीब, जरूरतमंदों व दिव्यांगों की सेवा कर रहा है। ताकि उन्हें भूखा पेट न सोना पड़े। 2015 में इस संस्थान का गठन किया गया था। उस समय से जरूरतमंद लोगों के पास राशन कीट व दिव्यांगों के लिए कृत्रिम उपकरण उपलब्ध करवाने शुरू किए थे। तभी से लगातार यह संस्थान इन लोगों के लिए काम कर रहा है।
शाखा संयोजक सतपाल मंगला ने बताया कि जरूरतमंद व गरीब लोग भूखे पेट न सोए। इसके लिए संस्थान इस कार्य को करने की ठानी है। इन लोगों के लिए संस्थान का हर सदस्य पांच साल से लग्न व मेहनत से कार्य कर रहा है।
125 दिव्यांग चेकअप कैंपों का आयोजन
ये संस्थान अब तक 125 दिव्यांग चेकअप कैंप लगा चुका है। इसमें 200 कृत्रिम अंग वितरित किए गए हैं। 45 के करीब व्हील चेयर, 80 के करीब सुनने वाली कानों की मशीन, 60 बैसाखी वितरित कर चुका है।
300 के करीब बांट चुका राशन कीट
संस्थान ने 150 के करीब राशन कीट वितरित कर दी है। इस कीट में 15 किलो आटा, पांच किलो चावल, दो किलो चीनी, एक किलो नमक, दो किलो तेल व चार किलो दाल है।
पांच साल के छह बच्चों के दिल
का करवा चुका निशुल्क ऑपरेशन
पांच साल में छह बच्चों का संस्थान जिलेभर में निशुल्क ऑपरेशन करवा चुका है। समिति के संयोजक मंगला ने बताया इन बच्चों के दिल में छेद थे परिवार के पास ऑपरेशन करवाने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने संस्थान के सदस्यों से मिले उनका सफल ऑपरेशन करवाया। अब सभी अच्छी जिदगी जी रहे है। वहीं रक्तदान शिविरों का भी समय समय पर आयोजन किया जाता है।
125 परिवारों को अगस्त महीने में वितरित करेगा भोजन कीट
अगस्त के महीने में संस्थान की तरफ से 125 परिवारों को कीट वितरित की जाएगी। इसके लिए संस्थान ने लिस्ट तैयार कर ली है। अगर इसके बावजूद भी किसी असहाय का नाम लिस्ट में नहीं है वो जुड़वा सकता है। हर जिले में संस्थान काम कर रहा है।
संस्थान के सहसंयोजक सतपाल मंगला और दुर्गाप्रसाद ने बताया कि इस संस्थान का संचालन उदयपुर से हो रहा है। प्रशांत अग्रवाल इस संस्थान के प्रमुख है। इस संस्थान के सदस्यों को जहां से भी गरीब व असहायों की समस्या बारे कोई सूचना मिलती है संस्थान के सदस्य वहीं पहुंच जाते है। दिव्यांगजनों की समस्या को समाधान संस्थान की तरफ से करवाया जाता है।