कोर्ट केस जीतने के बाद भी दुकानें खाली कराना भूला नगर परिषद
नगर परिषद की शहर में अलग-अलग स्थानों पर 678 दुकानें हैं। इन दुकानों से नप को साल में करीब दो करोड़ रुपये की आमदनी होती है।
सुनील जांगड़ा, कैथल : नगर परिषद की शहर में अलग-अलग स्थानों पर 678 दुकानें हैं। इन दुकानों से नप को साल में करीब दो करोड़ रुपये की आमदनी होती है। यह आमदनी शहर के विकास कार्यों और कर्मचारियों का वेतन देने में काम आती है। नप अधिकारियों के ढीले रवैये के कारण नप को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। करीब एक साल पहले नप ने पीपी एक्ट के तहत 18 दुकान मालिकों के खिलाफ केस जीत लिया था। केस जीतने के बाद भी नप इन दुकानों को खाली कराना भूल गई है। इन दुकानों पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये बकाया है। बार-बार नोटिस देने के बाद इन दुकानदारों ने किराया नहीं जमा करवाया था। किराया न देने के कारण उनके खिलाफ केस किया गया था। इनमें सबसे ज्यादा आठ दुकानें लाला लाजपत राय मार्केट में है। चार दुकानें पार्क रोड पर, दो रेलन रोड पर, दो पुरानी अनाज मंडी में, एक पालिका बाजार में और एक दुकान डोगरा गेट में स्थित है।
2015 में किया गया था कोर्ट केस
डिफाल्टर 18 दुकानदारों के खिलाफ 2015 में पीपी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। जब से केस चल रहा था इन दुकानदारों ने एक बार भी अपना किराया जमा नहीं करवाया है। यानि करीब पांच साल से ये दुकानदार किराया भी नहीं दे रहे हैं और दुकान पर कब्जा करके भी बैठे हैं। नियम के अनुसार कोर्ट केस जीतने के बाद नगर परिषद को जल्द से जल्द दुकानें खाली करवानी होती हैं ताकि उन्हें किसी दूसरे को किराये पर दिया जा सके।
किराया जमा न करवाने वालों
को दिए जा रहे नोटिस
नगर परिषद की ओर से छह महीने से एक साल तक का किराया जमा न करवाने वाले दुकानदारों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। करीब 40 दुकानदारों को नोटिस भेजे भी जा चुके हैं। इन दुकानदारों पर नप का करीब 10 लाख रुपये बकाया है। दुकानदारों को तीन या चार बार किराया जमा करवाने का नोटिस दिया जाता है। उसके बाद भी किराया जमा नहीं करवाया जाता तो पीपी एक्ट के तहत कोर्ट में केस कर दिया जाता है।
दुकानों की रिपोर्ट ली जाएगी
नप की दुकानें खाली करवाने को लेकर मामला उनके संज्ञान में नहीं था। अब उन्हें मामले की जानकारी मिल गई है। जल्द ही नप अधिकारियों से दुकानों की रिपोर्ट ली जाएगी ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।
- कुलधीर सिंह, जिला पालिका आयुक्त।