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नवरात्र के दूसरे दिन भक्तगण ने की मंदिरों मेंमां ब्रह्मचारिणी की अराधना

नवरात्र पर्व के दूसरे दिन जिले भर के मंदिरों में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की गई। पर्व को लेकर शहर के सभी माता मंदिरों को सजाया गया है। बाजारों में भी खरीददारी करने वाले भक्तों की भीड़ लगी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 06:31 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 06:31 AM (IST)
नवरात्र के दूसरे दिन भक्तगण ने की मंदिरों 
मेंमां ब्रह्मचारिणी की अराधना
नवरात्र के दूसरे दिन भक्तगण ने की मंदिरों मेंमां ब्रह्मचारिणी की अराधना

जागरण संवाददाता, कैथल : नवरात्र पर्व के दूसरे दिन जिले भर के मंदिरों में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की गई। पर्व को लेकर शहर के सभी माता मंदिरों को सजाया गया है। बाजारों में भी खरीददारी करने वाले भक्तों की भीड़ लगी हुई है। इन नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है। हनुमान वाटिका के पुजारी विशाल शर्मा ने बताया कि नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ- ब्रह्म मतलब तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली देवी होता है। मां ब्रह्मचारिणी के हाथों में अक्ष माला और कमंडल सुसज्जित हैं। अगर मां का सच्चे मन से पूजन किया जाए तो व्यक्ति को ज्ञान सदाचार लगन, एकाग्रता और संयम रखने की शक्ति प्राप्त होती है। इस बार कोरोना महामारी के कारण श्रद्धालुओं को मूर्ति को स्पर्श करने की अनुमति नहीं दी गई है।

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शारदीय नवरात्र में सभी मनोकामनाएं पूरी होती

सीवन के श्री सनातन धर्म मंदिर के महंत पंडित महेश शर्मा ने नवरात्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मां दुर्गा के शारदीय नवरात्र में सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां दुर्गा की नव-शक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली है। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमंडल धारण किए हैं। कथाओं के अनुसार पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। ए

राजौंद के मंदिरों में हुई पूजा

राजौंद : नवरात्र पर्व के तहत रविवार को दूसरे नवरात्र के उपलक्ष्य में श्रद्धालुओं ने मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना कर मंगलकामना की। नवरात्र से संबधित सामान खरीदने वाले श्रद्धालु प्रसाद, आलू, कुट्टू के आटे की खरीदारी कर रहे है। महंगाई के इस दौर में फल व व्रत से संबधित सामग्री खरीदने वालों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही है। उधर, मंदिरों में नवरात्र को लेकर दुर्गा मंदिर, प्राचीन शिव मंदिर, भद्रकाली मंदिर, बाबा बहादुर बण मंदिर में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर मां दुर्गा के स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की। श्रद्धालु मंदिरों में जयकारे लगाते हुए पहुंचे। पुजारी ने बताया कि कोरोना संक्रमण न फैले इसे लेकर विशेष प्रबंधक किए गए।


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