मानसून सिर पर, बाढ़ बचाव के प्रबंध अधूरे
मानसूनी बरसात आने में चंद दिनों का ही समय बाकी है। ऐसे में ¨सचाई और जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में पानी निकासी के प्रबंध अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाए हैं। हालांकि दोनों विभागों के तालमेल से जिले में बाढ़ बचाव प्रबंधों के लिए काम किया जा रहा है, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
जागरण संवाददाता, कैथल : मानसूनी बरसात आने में चंद दिनों का ही समय बाकी है। ऐसे में ¨सचाई और जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में पानी निकासी के प्रबंध अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाए हैं। हालांकि दोनों विभागों के तालमेल से जिले में बाढ़ बचाव प्रबंधों के लिए काम किया जा रहा है, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
शहर में विभाग की ओर से ड्रेनेज की सफाई का कार्य जोरों से किया जा रहा है। इसके विपरीत ग्रामीण क्षेत्र में ड्रेन जलकुंभी और गंदगी से अटी पड़ी हैं। विभाग 30 जून से पहले सफाई संबंधित कार्य को निपटाने के दावे कर रहे हैं, जबकि मौसम विभाग के अनुसार मानसून 29 जून से पहले आने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में जिन जगहों पर ड्रेनेज की सफाई नहीं हो पाई, वहां के किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। पहले भी ड्रेनों के ओवरफ्लो होने से साथ लगते खेतों में पानी भर गया था, जिससे धान की फसल को काफी नुकसान हुआ था।
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ड्रेन के साथ लगते खेतों
में भर सकता है पानी :
बाढ़ बचाव के पूरे प्रबंध नहीं होने से उन किसानों को परेशानी ज्यादा होगी, जिनके खेत जिले की विभिन्न क्षेत्रों में बनाई गई ड्रेनों के साथ लगते हैं। इनकी सफाई के लिए विभाग प्रयास तो कर रहा है, लेकिन बरसात पहले शुरू हो गई तो विभाग की योजना धरी-धराई रह सकती है। हालांकि जिले को बाढ़ से बचाने के लिए विभाग की ओर से बाढ़ एजेंडे भी तैयार किए गए हैं। इन एजेंडों के तहत किया जाने वाला कार्य अभी अधूरा है।
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पॉलिथिन बन सकता है
जलभराव का कारण :
शहर में कई स्थानों पर अभी तक पानी निकासी के प्रबंध सही ढंग से नहीं हो जाए है। यहां सीवर ओवरफ्लो होने से गंदा पानी सड़कों पर फैला है। जन स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि सीवरेज बंद होने का प्रमुख कारण पॉलिथिन है। इस्तेमाल के बाद लोग इसे सड़कों पर फेंक देते हैं। बाद में वे बरसाती पानी के साथ सीवर में घुस जाते हैं। इससे निकासी अवरुद्ध होती है और पानी सड़कों पर जमा हो जाता है।
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मोबाइल पंप का होगा इस्तेमाल :
मानसून के दौरान अगर जिले के किसी गांव या कस्बे में जलभराव की स्थिति पैदा होता है तो इससे निपटने के लिए विभाग मोबाइल पंप का इस्तेमाल करेगा। इन पंपों के जरिये क्षेत्र में भरे पानी का निकासी साथ लगती ड्रेन में की जाएगी। जो गांव इन ड्रेनों से दूर स्थित हैं, उनमें से पानी की निकासी के लिए विभाग वैकल्पिक व कच्ची ड्रेन बनाकर पानी की निकासी करेगा।
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बाढ़ आने वाले ¨बदू किए मजबूत जिले के जिन क्षेत्रों में बाढ़ आने की संभावना ज्यादा है, विभाग उन ¨बदुओं को मजबूत करने में जुटा है। वहां पर पंप हाउस बनाकर पानी निकासी के प्रबंधों को पुख्ता किया जा रहा है ताकि जिलावासियों और साथ लगते किसानों की फसल को किसी प्रकार का नुकसान न झेलना पड़े। पानी भरने की स्थिति में नई अस्थाई ड्रेनों का भी सहारा लिया जा सकता है।
वर्जन :
¨सचाई विभाग की ओर से बाढ़ बचाव के लिए सभी प्रबंध किए जा चुके हैं। ड्रेनेज की सफाई जन स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से की जा रही है। 30 जून से पहले बचाव कार्य पूरे कर दिए जाएंगे।
- प्रशांत कुमार, एक्सईएन ¨सचाई विभाग।
वर्जन :
शहर में लगभग सभी जगहों पर सीवरेज व्यवस्था को दुरुस्त किया जा चुका है। जो स्थान बचे हैं उन्हें जून माह के खत्म होने से पहले निपटाने का विभाग का प्रयास है। बरसाती मौसम में शहरवासियों को परेशानी न हो इसके लिए विभाग प्रमुखता से काम कर रहा है।
- प्रमोद कुमार, एसडीओ जन स्वास्थ्य विभाग।