धनतेरस पर बाजार पर बरसा धन
धनतेरस पर्व पर शुक्रवार को बाजारों में जमकर खरीदारी हुई। सोना-चांदी के आभूषण बर्तन इलेक्ट्रॉनिक सामान वाहनों की बिक्री के लिए लोग बाजारों में पहुंचे। बाजारों में दुकानों पर जमकर धनवर्षा हुई। सुबह करीब नौ बजे ही बाजार खुलना शुरू हो गए थे ग्राहक भी सुबह से ही बाजारों में खरीदारी के लिए पहुंचे और देर रात तक लोग दुकानों पर सामान खरीदते हुए नजर आए।
जागरण संवाददाता, कैथल :
धनतेरस पर्व पर शुक्रवार को बाजारों में जमकर खरीदारी हुई। सोना-चांदी के आभूषण, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहनों की बिक्री के लिए लोग बाजारों में पहुंचे। बाजारों में दुकानों पर जमकर धनवर्षा हुई। सुबह करीब नौ बजे ही बाजार खुलना शुरू हो गए थे, ग्राहक भी सुबह से ही बाजारों में खरीदारी के लिए पहुंचे और देर रात तक लोग दुकानों पर सामान खरीदते हुए नजर आए। करीब 20 से 25 करोड़ रुपये की खरीदारी का अनुमान है। दोपहिया वाहनों व गाड़ियों की एजेंसी संचालकों ने करीब 10 करोड़ का बिजनेस किया। धनतेरस पर रोजाना से तीन से चार गुना ज्यादा वाहनों की बिक्री हुई। इसके अलावा सर्राफा बजार में चांदी और सोने के सिक्के खरीदने को भी ग्राहकों की भीड़ रही है। लोगों ने सिक्कों के अलावा चांदी के बर्तनों व कपड़ों की भी जमकर खरीद की।
एलआर हुंडई के जीएम रोहित कालड़ा व टीवीएस कंपनी के संचालक गुरचरण सिंह ने बताया कि दीपावली में दो दिन शेष हैं और वे अपने टारगेट पूरे कर चुके हैं। पहले के सालों के मुकाबले मार्केट कमजोर है, लेकिन रोजाना से दोगुनी बिक्री वाहनों की हो रही है।
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इसलिए होती है धनतेरस पर खरीदारी
दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है। दीपावली के त्योहार में धनतेरस का बड़ा महत्व होता है। इस दिन नई चीजें खरीदने की परंपरा होती है। धनतेरस का शाब्दिक अर्थ है धन और तेरा । इसका मतलब धन के लिए मनाया जाने वाला त्योहार है धनतेरस जो कार्तिक महीने के 13वें दिन होता है। परंपरा ये है कि इस दिन हिदू सोने और चांदी और इसके अलावा बर्तनों की खरीदारी करते हैं। इतना ही नहीं बिजनेस या फिर कुछ भी नया शुभ काम करना हो तो इस दिन शुरूआत करना अच्छा माना जाता है। इस दिन घरों में दीप जलाकर यमदेव को दूर किया जाता है। मान्यता है सोने और चांदी की खरीदारी ही धनतेरस का असली महत्व है। इसका महत्व धन, सोने, चांदी और गहनों से कहीं ज्यादा है। इस दिन घर के सभी सदस्य नए कपड़े पहनते हैं चारों तरफ रोशनी फैलाते हैं। घर पर नए-नए पकवान बनते हैं। धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कुबेर धन के देवता हैं और उनकी पूजा करने से वे खुश होकर धनवान बना देते हैं।
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दुल्हन की तरह सजे बाजार :
दुकानदारों ने ग्राहकों को लुभाने के लिए बाजारों को दुल्हन की तरह सजाया। बाजारों को सजाने में रंगीन लाइटों, झालर तथा रंगीन टेंट का प्रयोग किया गया है।
बॉक्स : चांदी व सोने की सिक्कों की मांग ज्यादा
शहर के मुख्य बाजार स्थित आभूषणों के व्यापारी अरूण सर्राफ ने बताया कि गहनों में 30 से 40 प्रतिशत बिक्री में इजाफा हुआ है। इसके अलावा चांदी व सोने की सिक्कों की मांग ज्यादा है। इस बार दस ग्राम से लेकर 100 ग्राम तक चांदी के सिक्के मार्केट में आए हैं, जिनकी कीमत 500 रुपये से लेकर 20 हजार रुपये तक है।
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50 प्रतिशत बढ़ी इलेक्ट्रॉनिक सामान बिक्री :
वाहनों और सोने, चांदी की बिक्री के साथ ही सबसे ज्यादा बिक्री इलेक्ट्रॉनिक सामान की हो रही है। बड़े बड़े शोरूम संचालकों ने सजावट के साथ ही विभिन्न तरह के ऑफर पेश किए हैं। विशेषकर मोबाइल और एलइडी टीवी की बिक्री में बहुत इजाफा हुआ। जीरो प्रतिशत डाउन पेमेंट और आसान किस्तों की पेशकश कर ग्राहकों को लुभाया जा रहा है। यही कारण है कि इलेक्ट्रोनिक सामान की बिक्री में 50 प्रतिशत इजाफा हुआ है।
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मिट्टी के दीयों की भी सजी दुकानें :
रेलवे गेट स्थित छात्रावास रोड पर नरवानियां बिल्डिग के बाजार में दीपावली के लिए दीयों की दर्जनों दुकानें सजी। लोग फुटपाथ भी सामान रख कर बेच रहे थे। इसी के साथ पोस्टर, प्लास्टिक का सामान, खेल खिलौने, रंगबिरंगी मोमबत्तियां, रंगीन दीये, घर को सजाने के लिए बिजली की लड़ियां, झूमर आदि की दुकानें भी लगी थीं। वहीं, सड़क के एक तरफ मां, लक्ष्मी, गणेश जी, शिव भगवान की मिट्टी व पीओपी से बनी मूर्तियों की दुकानें लगा रखी थी, जो लोग सोने व चांदी की मां लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्तियों नहीं खरीद पा रहे थे। इस बार पर्व पर चाइनिस सामान की बिक्री न के बराबर रही।