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जींद उपचुनाव में सुरजेवाला को प्रत्याशी बनाने पर ठगा महसूस कर रही कैथल की जनता

कांग्रेस हाईकमान का कैथल विधायक रणदीप सुरजेवाला को जींद उपचुनाव में उतारने के फैसले से स्थानीय जनता खुद को ठगा सा महसूस कर रही है। कैथल के मतदाताओं का ही योगदान है जो सुरजेवाला आज कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 11:32 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 11:32 PM (IST)
जींद उपचुनाव में सुरजेवाला को प्रत्याशी बनाने पर ठगा महसूस कर रही कैथल की जनता
जींद उपचुनाव में सुरजेवाला को प्रत्याशी बनाने पर ठगा महसूस कर रही कैथल की जनता

जागरण संवाददाता, कैथल : कांग्रेस हाईकमान का कैथल विधायक रणदीप सुरजेवाला को जींद उपचुनाव में उतारने के फैसले से स्थानीय जनता खुद को ठगा सा महसूस कर रही है। कैथल के मतदाताओं का ही योगदान है जो सुरजेवाला आज कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं। जनता ने उन्हें दो बार तो उनके पिता शमशेर ¨सह सुरजेवाला को एक बार विधायक बनाकर विधानसभा में भेजने का काम किया। अब जींद उप चुनाव मैदान में सुरजेवाला के उतरने से कैथल में कांग्रेस का नया चेहरा कौन होगा इसे लेकर शहर में चर्चा है। चर्चा यह भी है कि क्या कांग्रेस के पास जींद उप चुनाव में सुरजेवाला के इलावा कोई और चेहरा नजर नहीं आया जो जींद चुनावी दंगल में उतारा जा सके। अगर सुरजेवाला चुनाव जीते तो दो सीटों में से एक सीट को छोड़ना पड़ेगा। ऐसे में लोगों में यह चर्चा है कि वे जीत के बाद कैथल सीट को छोड़ सकते हैं। जैसे ही सुरजेवाला का नाम जींद उप चुनाव के लिए फाइनल हुआ तो लोगों में कैथल सीट को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई थी।

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दो बार रणदीप को तो एक बार उनके पिता इस सीट से बने विधायक

2009 से 2014 में रणदीप ¨सह सुरजेवाला कैथल से विधायक बने। 2005 में उनके पिता शमशेर ¨सह सुरजेवाला विधायक रहे। उस समय रणदीप ¨सह नरवाना से विधायक थे, लेकिन नरवाना रिजर्व होने के बाद उन्होंने कैथल का रुख कर लिया। शमशेर ¨सह ने बेटे के लिए यह सीट छोड़ दी। रणदीप ¨सह ने दो बार के चुनाव में इनेलो प्रत्याशी रहे कैलाश भगत को 22 व 24 हजार वोटों से हराकर भारी मतों से जीत दर्ज की। मोदी लहर होने के बावजूद इस सीट पर भाजपा का प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा था। हालांकि कांग्रेस कैथल जिले की चार सीटों में से मात्र एक सीट पर ही जीत हासिल कर पाई। सुरजेवाला अब तक चार बार विधायक बने हैं। नरवाना में वे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला से चुनाव हार गए थे। अब जींद उप चुनाव में एक बार फिर चौटाला परिवार के सामने चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार चुनावी रण में पौता दिग्विजय ¨सह चौटाला सामने हैं। सांसद दुष्यंत व दिग्वजय ¨सह ने अगस्त 2018 में कैथल की नई अनाज मंडी में आयोजित हुई रैली में कहा था कि वे सुरजेवाला को हराने के लिए कैथल सीट से चुनाव लड़ेंगे। अब जींद उप चुनाव में दोनों ही आमने-सामने हैं। बॉक्स

पूर्व विधायक लीला राम गुर्जर ने कहा कि जींद उपचुनाव से पहले कैथल की जनता के सामने सुरजेवाला का असली चेहरा आ गया है। अब जींद में तो परास्त होंगे ही कैथल की जनता भी उन्हें स्वीकार नहीं करेगी। बॉक्स

इनेलो जिलाध्यक्ष कंवरपाल करोड़ा ने कहा कि जिन लोगों ने सुरजेवाला को यहां तक पहुंचाया है अब जब राजनीतिक लाभ की बारी आई तो वे जनता का साथ छोड़ गए। अब जींद में भी उन्हें गठबंधन के हाथों पराजित होना पड़ेगा। बॉक्स

नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन यशपाल प्रजापति ने कहा कि ये होना ही था। जिस व्यक्ति ने साढे चार सालों में एक बार भी अपनी विधानसभा की आवाज नहीं उठाई हो वह भागेगा ही। उनके पास दूसरा कोई विकल्प ही नहीं था। जींद में भी हार का सामना करना पड़ेगा। बॉक्स

गांव प्योदा के सरपंच प्रतिनिधि राममेहर ने कहा कि सुरजेवाला ने ऐसा कर कैथल के लोगों को धोखा दिया है। मतदाताओं को ये उम्मीद नहीं थी कि सुरजेवाला अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह जनता को धोखा देंगे। इससे कांग्रेस का दुर्भाग्य कहिए जो एक चुनाव के लिए एक प्रत्याशी भी वे नहीं तलाश पाए। ------------


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