समंदर की गहराई से भी गहरा है तेरा मन मां..
जागरण संवाददाता कैथल मातृ- दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय कवि संगम के बैनर तले इकाई जिला ज
जागरण संवाददाता, कैथल : मातृ- दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय कवि संगम के बैनर तले इकाई जिला जींद एवं कैथल के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी करवाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कैथल के जाने-माने वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. अमृतलाल मदान ने की। प्रांतीय महामंत्री विकास यशकीर्ति ने कविगण का स्वागत किया। मंच का संचालन डा. प्रद्युमन भल्ला ने किया। जींद इकाई की अध्यक्षा शकुंतला काजल ने मां शारदे की वंदना कर काव्य-गोष्ठी का आगाज किया। पटियाला से जुड़े हरिदत्त हबीब ने मां के चरणों में नमन करते हुए कहा, झुकाओं सिर अगर तुम रोज अपनी मां के कदमों में.. जरूरत फिर नहीं रहती कहीं भी सर झुकाने की।
दिल्ली से विवेक रफीक ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, कुदरत दा वरदान ने मापे, बंदे ते एहसान ने मापे। इसी कड़ी में दिल्ली के वरिष्ठ कवि भाषी मुल्तानी ने कहा, बिन बादल के कहीं पर भी कभी बरसात नहीं होती, बिन सूरज की किरण देखे कभी प्रभात नहीं होती। इसी कड़ी में दिल्ली के प्रतिष्ठित रचनाकार फखरुद्दीन अशरफ ने कहा पांव मां बाप के दबाएंगे, हम तो जन्नत में घर बनाएंगे, अपने मां-बाप की खुशी के लिए, चांद तारे भी तोड़ लाएंगे। नई मुंबई से तनुजा चौहान ने कहा, नेकी कर दरिया में डालें, फिर नेकी का फल पाएं, प्यार के बदले प्यार मिलेगा, मन में प्यार का पेड़ लगाएं। इसी कड़ी में डा. प्रद्युमन भल्ला ने कहा, कैसे-कैसे कमाल करती है, काम सब बेमिसाल करती है मैंने सोचा नहीं मां के बारे कभी, पर वो मेरा ख्याल करती है। राजस्थान से जुड़े ओम जोशी ने कहा, सात समंदर की गहराई से भी गहरा है तेरा मन मां। पंजाब के लुधियाना से जुड़ी साधना गुप्ता ने कहा, अपने बच्चे को जब मैं सुलाने लगी, मां की लोरी मुझे याद आने लगी। ऑनलाइन माध्यम से आयोजित हुए कार्यक्रम में 11 राज्यों से भागेदारी करने वाले कवियों ने वाहवाही बटोरी।