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रोजगार के लिए रिज्यूम देने पहुंची दिव्यांग रेखा, डीसी ने जताई असमर्थता

कैथल सर मैं दिव्यांग हूं और एमए-बीएड हूं लेकिन मेरे पास कोई रोजगार नहीं है। इससे पहले भी तीन उपायुक्तों से मिल चुकी हूं लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हो रही है। केवल आश्वासन ही मिला है। अगर छोटा-मोटा रोजगार मिल जाए तो परिवार का पालन-पोषण कर सकूंगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 06:56 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 06:56 AM (IST)
रोजगार के लिए रिज्यूम देने पहुंची दिव्यांग रेखा, डीसी ने जताई असमर्थता
रोजगार के लिए रिज्यूम देने पहुंची दिव्यांग रेखा, डीसी ने जताई असमर्थता

जागरण संवाददाता, कैथल : सर मैं दिव्यांग हूं और एमए-बीएड हूं, लेकिन मेरे पास कोई रोजगार नहीं है। इससे पहले भी तीन उपायुक्तों से मिल चुकी हूं, लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हो रही है। केवल आश्वासन ही मिला है। अगर छोटा-मोटा रोजगार मिल जाए तो परिवार का पालन-पोषण कर सकूंगी। यह गुहार डोगरा गेट निवासी दिव्यांग रेखा ने डीसी सुजान सिंह के सामने लगाई। जिला नागरिक अस्पताल में सोमवार को आयोजित नि:शक्त जन की सहायता के लिए लगाए गए तीन दिवसीय जांच शिविर का शुभारंभ करने के लिए डीसी सुजान सिंह वहां पहुंचे थे।

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डीसी ने जैसे ही अपना संबोधन समाप्त किया तो रेखा अपनी सीट से उठकर डीसी के पास पहुंची और रोजगार की गुहार लगाई। रेखा की बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि डीसी ने कहा कि नौकरी देना तो सरकार का काम है। जब सरकार नौकरी निकलेगी तो योग्यता अनुसार आवेदन कर देना पेपर पास होगा तो रोजगार मिल जाएगा। डीसी की इस बात से आहत रेखा ने कहा, सर प्रशासन भी तो उसकी स्थिति को देखते हुए कोई रोजगार दे सकता है तो डीसी ने ना में जवाब दिया। डीसी जैसे ही आगे बढ़ने लगे तो उसने फिर आवाज लगाई। बोली सर, कम से कम मेरा रिज्यूम तो ले लो। डीसी फिर से पीछे मूड़े और रेखा का बायोडाटा ले लिया।

सीएम ने डीसी के पास भेजा था रिज्यूम

रेखा ने बताया कि वर्ष 2006 में उसकी शादी डोगरा गेट निवासी दिव्यांग सुशील के साथ हुई थी। सुशील कबाड़ी का काम करता है। परिवार में पति-पत्नी के अलावा दो बेटियां हैं, जो प्राइवेट स्कूल में पढ़ रही हैं। करीब तीन साल पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल कैथल के दौरे पर आए थे। उस समय नगर परिषद के चेयरमैन रहे यशपाल प्रजापति के घर पर मुख्यमंत्री से वह मिली थी और रोजगार की मांग रखी थी। मुख्यमंत्री ने डीसी के पास भेजा था। जब वह अगले दिन डीसी से मिली तो जवाब मिला हम कहां से नौकरी देंगे, सरकार तो ऐसे पता नहीं कितने लोगों को रोज भेज देती है।

कोरोना में ही हटा दिया नौकरी से

रेखा ने बताया कि डेढ़ साल तक उसने एक प्राइवेट स्कूल में नौकरी की। जैसे ही कोरोना महामारी आई तो उसे नौकरी से हटा दिया गया। रोजगार छीनते ही परिवार पर पालन-पोषण का संकट आ गया है।


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