लॉकडाउन ने छुड़ाया हुक्का, बढ़ाया भाईचारा
कोरोना वायरस के बचाव के चलते गांव व सामाजिक लोगों ने हुक्के से दूरी बनानी शुरू कर दी है।
सोनू कालारामणा, कैथल: कोरोना वायरस के बचाव के चलते गांव व सामाजिक लोगों ने हुक्के से दूरी बनानी शुरू कर दी है। इसके पीछे दिया जाने वाला तर्क भी प्रशासन व ग्रामीणों का बहुत हद तक सही है। गांव के सार्वजनिक स्थानों से हुक्के की गुड़गुड़ाहट कम सुनाई देने लगी है। कोरोना वायरस के चलते लोग सार्वजनिक जगह पर बैठकर आपस में एक मीटर की दूरी कम से कम रख रहे हैं। कोरोना से पहले जो सामाजिक व पंचायत के सदस्य एक साथ हुक्के के बहाने बैठते थे, उनमें से कुछ ने इसको छोड़ दिया है। वहीं, कुछ अपने घर पर अपनी तलब को शांत कर लेते हैं। ग्रामीण रामदिया का कहना है कि जीवन से बढ़कर कुछ नहीं है। इसलिए वे एहतियात के तौर पर इस सावधानी का पालन कर रहे हैं ताकि बीमारी से बचे रहे।
चौपालों में भीड़ जुटती थी
कोरोना से पहले चौपालों में भीड़ जुटती थी लोग एक ही हुक्के पर बैठ रहते थे। अब वहीं बैठकें भी गांव में दिखाई नहीं दे रही है। लोग एक दूसरे से दूर रह रहे हैं। लोगों ने बीमारी के कारण इसे कम कर दिया है। गांव में कोई भी पंचायत होती थी उसमें हुक्का सबसे पहले रखा जाता था। लेकिन लॉकडाउन में एक स्थान पर एकत्रित होना मना है। इसलिए अब लत भी काबू में है।
घर पर रहकर लोग फोन
से कर रहे है काम
पिछले एक माह में लॉकडाउन के दौरान लोग घर पर ही रहकर मोबाइल पर कार्य करने लगे हुए है। इससे वे शारीरिक दूरी का पालन भी बखूबी से निभा रहे है। जिला में कई सामाजिक संस्थाएं है जो वर्ष भर सामाजिक कार्यों में लगी रहती है। लॉकडाउन के दौरान भी उनका कार्य रूका नहीं है। वे घर पर रहकर मोबाइल पर कार्य कर रहे हैं और समाज को जागरूक करने का भी काम कर रहे हैं। कई संस्थाएं घर पर रहकर बच्चों को रूचि के अनुसार कार्य करने के लिए कह रही है। कुछ संस्थाएं द्वारा बच्चों को घर पर रहकर ही मोबाइल द्वारा पेंटिग प्रतियोगिता करवाई जा रही है।