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बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल संचालकों को किया जागरूक

आरकेएसडी कॉलेज में राष्ट्रीय एवं राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से सुरक्षित वाहन पॉलिसी पर एक दिवसीय कार्यशाला करवाई गई। उद्देश्य था निजी स्कूल संचालकों को इस पॉलिसी के बारे में जागरूक करना और इसको मानने के लिए मानसिक रुप से तैयार करना। हुआ भी ऐसा ही।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 10:55 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 10:55 AM (IST)
बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल  संचालकों को किया जागरूक
बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल संचालकों को किया जागरूक

जागरण संवाददाता, कैथल : आरकेएसडी कॉलेज में राष्ट्रीय एवं राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से सुरक्षित वाहन पॉलिसी पर एक दिवसीय कार्यशाला करवाई गई। उद्देश्य था निजी स्कूल संचालकों को इस पॉलिसी के बारे में जागरूक करना और इसको मानने के लिए मानसिक रुप से तैयार करना। हुआ भी ऐसा ही। आयोग से आए तकनीकी विशेषज्ञ रजनीकांत अपनी हर बात मनवाने में सफल रहे। उन्होंने उदाहरण के साथ अपनी हर बात रखी।

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निजी स्कूल संचालकों को कुछ नियम कानून अच्छे नहीं लगे तो सवालों के रूप में उन्होंने अपना विरोध जताया, लेकिन रजनीकांत ने जब उन्हीं सवालों पर सवाल करने शुरु किए तो स्कूल संचालक एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। वे अपने ही किए सवालों को तर्कसंगत ठहराने में नाकाम रहे। फिर ये कहने लगे कि मंच पर खड़ा व्यक्ति ज्यादा पावरफुल होता है, लेकिन रजनीकांत ने इस पर भी विकल्प खुला रखा और बोले कि वे यहां आकर बोलें और वे वहां आ जाएंगे। हालांकि एकाध स्कूल संचालकों को छोड़ अन्य ने अंत में कार्यशाला की प्रशंसा की और इसे एक अच्छी पहल बताया।

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अब एक नहीं दो प्रिसिपल

होंगे निजी स्कूल में

रजनीकांत ने स्कूल संचालकों से कहा कि अब वे यह सुनिश्चित करें कि हर स्कूल में दो प्रिसिपल हों। इनमें से एक सिर्फ प्रशासनिक कार्यों को देखेगा और दूसरा एकेडमिक। दोनों एक दूसरे के काम में दखलादांजी नहीं करेंगे।

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बच्चे की सुरक्षा स्कूल की जिम्मेदारी

एक स्कूल संचालक ने सवाल किया कि वे बच्चे की जिम्मेदारी स्कूल में आने के बाद ही ले सकते हैं। बच्चा किस वाहन पर आ रहा है, यह जिम्मेदारी अभिभावकों को लेनी होगी। रजनीकांत ने इस पर कहा कि ऐसा कर तो सकते हैं, लेकिन कानून कुछ और कहता है। अगर बच्चे की जिम्मेदारी नहीं ले सकते तो फिर दाखिला क्यों दे रहे हैं। संभव हो तो अपना वाहन उपलब्ध करवाएं नहीं तो जिस भी वाहन से आ रहा है, उसमें भी बच्चा सुरक्षित रहे इसकी जिम्मेदारी भी लीजिए।

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22 बिदु नहीं माने तो फंस

सकते हैं मुसीबत में

रजनीकांत ने कहा कि सुरक्षित वाहन पॉलिसी के 22 बिदुओं में से एक भी ऐसा नहीं है जो माना नहीं जा सकता हो। बस थोड़ा ध्यान देने की जरूरत हैं। उन्होंने सभी संचालकों से बच्चों के संबंध और वाहन के संबंध में बने सभी कानूनों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया, ताकि किसी भी मुसीबत से बचा जा सके। उन्होंने कुछ बिदुओं पर स्कूल संचालकों के भ्रम को भी दूर किया और ये क्यों जरूरी है इसके बारे में बताया।

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ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में सीटीएम जगदीप ढुल, आयोग सदस्य नरेंद्र जिदल, पूर्व सदस्य रमनदीप कौर, पूर्व सदस्य सुशील वर्मा, अंबाला से आयोग की सदस्य डॉ. प्रतिभा सिंह, एडवोकेट अभिषेक गोयल, एडवोकेट राणा बंसल, निजी स्कूल संचालक जोगिद्र ढुल, वरुण जैन, बलिद्र संधू, विनोद कुमार, हरपाल आर्य, जितेंद्र कुमार, रामेश्वर धारीवाल, ईश्वर ढांडा, रितु सिगला, पूजा रानी, अमृता कैंदल, संतोष धारीवाल मौजूद रहे।


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