गीता केकर्म के संदेश पर चलने से समस्याओं का समाधान संभव : डीसी
डीसी धर्मवीर ¨सह ने कहा कि कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान मोह ग्रस्त अर्जुन को गीता का अमर संदेश दिया था। इसके बाद अर्जुन अपने रिश्तेदारों व परिवार के सदस्यों से युद्ध करने को तैयार हुए थे। गीता का यह अमर संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना महाभारत युद्ध के दौरान था।
जागरण संवाददाता, कैथल :
डीसी धर्मवीर ¨सह ने कहा कि कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान मोह ग्रस्त अर्जुन को गीता का अमर संदेश दिया था। इसके बाद अर्जुन अपने रिश्तेदारों व परिवार के सदस्यों से युद्ध करने को तैयार हुए थे। गीता का यह अमर संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना महाभारत युद्ध के दौरान था।
डीसी आरकेएसडी कॉलेज हॉल में गीता जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में वर्तमान समय में गीता की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित संगोष्ठि में अपने विचार रख रहे थे।
उन्होंने कहा कि गीता के कर्म के संदेश पर चलते हुए वर्तमान समाज की सभी समस्याओं का समाधान संभव है। इस संदेश को हम घर-घर तक पहुंचाए, तभी गीता जयंती महोत्सव का आयोजन सार्थक होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश में कहा है कि मनुष्य को फल की ईच्छा किए बिना अपना कर्म करना चाहिए।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष ललित कुमार गौड़ ने कहा कि आत्मा व परमात्मा दोनों एक हैं। हम सभी परमात्मा का अंश हैं। पिहोवा स्थित डीएवी कॉलेज के प्राचार्य कामदेव झा ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि 48 कोस की परिधि में लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इतिहासकार प्रो. बीबी भारद्वाज ने कहा कि गीता सहित इन तीनों रचनाओं के नायक असमंजस की स्थिति में हैं। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इस असमंजस की स्थिति से बाहर निकालने के लिए दिए गए गीता के संदेश के कारण ही अर्जुन अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल होते हैं, जबकि अन्य दोनों रचनाओं के नायक मृत्यु को प्राप्त होते हैं।
इस मौके पर एडीसी सतबीर ¨सह कुंडू, सीटीएम विजेंद्र हुड्डा, ऋषिपाल बेदी, प्राचार्य संजय गोयल, बीडी थापर, ओपी गुप्ता, सरोज चौधरी, सुदेश सिवाच, रतिराम शर्मा मौजूद थे।