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स्कूल में न पीने को पानी न निकासी की व्यवस्था

संवाद सहयोगी, कलायत: मॉडल गांव बालू के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के विद्याíथयों द्वारा मूलभ

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Oct 2017 08:42 PM (IST)Updated: Thu, 12 Oct 2017 08:42 PM (IST)
स्कूल में न पीने को पानी न निकासी की व्यवस्था
स्कूल में न पीने को पानी न निकासी की व्यवस्था

संवाद सहयोगी, कलायत: मॉडल गांव बालू के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के विद्याíथयों द्वारा मूलभूत समस्याओं को लेकर खटखटाया गया उच्च न्यायालय का दरवाजा शिक्षा विभाग के ढुलमुल रवैये को उजागर कर रहा है।

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ग्रामीण और स्कूल प्रबंधन वर्षों से सूरत-ए-हाल बदलने की गुहार पर गुहार शिक्षा विभाग से लगा रहा है। इसके बदले आश्वासन के सिवाय फरियादियों को कुछ नहीं मिला। इस प्रकार की बेरुखी ने विद्याíथयों को न्यायालय की शरण में जाने को विवश किया। बृहस्पतिवार को बालू गांव पहुंचे सर्व शिक्षा अभियान के एसडीओ सुझल गुप्ता ने कनिष्ठ अभियंता विजय कांसल और अन्य कर्मचारियों की मौजूदगी में खुलासा किया कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के कायाकल्प के लिए 1 करोड़ 4 लाख का प्रारूप उच्च अधिकारियों को भेजा गया है। करीब दो माह पहले भेजे गए इस प्रारूप में 11 नए कमरे, चहारदीवारी, साइकिल स्टैंड, शौचालय व अन्य निर्माण कार्य शामिल हैं। उम्मीद है कि राशि जल्द स्वीकृत होगी और जमीनी स्तर पर कार्य शुरू होगा। आरटीआई कार्यकर्ता गुरुदेव ¨सह और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि इस प्रकार के मसलों को लेकर उन्होंने वर्षों तक आरटीआई व अन्य माध्यमों से संघर्ष किया। मसले का हल करने की बजाए प्रशासनिक अधिकारी सरकार को गुमराह करते रहे।

आखिरकार विद्याíथयों को प्रशासन को हकीकत का आईना दिखाने के लिए न्यायालय की शरण में जाना पड़ा। न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले विद्याíथयों का कहना है कि वर्ष 2006 में बालू को माडल गांव का दर्जा मिला। काफी समय तक यह गच्चा दिया जाता रहा कि योजनाओं को स्वीकृति मिलने में अभी समय लगेगा। इस आश्वासन में वर्षों बीत गए। आरटीआई के माध्यम से जब ग्रामीणों ने जानकारियां जुटाई तो वे हैरान रह गए।

मॉडल गांव के रूप में मिलने वाली राशि को रिकार्ड में पारदर्शिता से खर्च दिखाया गया। जबकि जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। गांव तो दूर की बात स्कूल में ही न पीने को पानी, न निकासी की व्यवस्था, न शौचालय, न भवन और अन्य बुनियादी सुविधाएं। यदि यही आदर्श गांव की परिभाषा है तो सामान्य इलाको की स्थिति के बदलाव की उम्मीद करना बेमानी है।

चलने से पहले ही बंद

हो गए शौचालय

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल बालू में स्वच्छ भारत अभियान के तहत आधुनिक शौचालय निर्माण का ख्वाब ग्रामीणों को दिखाया गया। भारतीय अक्षय उर्जा विकास संस्था नई दिल्ली की भी सहभागिता इसमें दर्शाई गई। हैरानी का विषय है कि आधुनिक शौचालय स्थापित करना तो दूर की बात एजेंसी रिकार्ड में ही इसे क्रियाशील कर चलता बना।

उम्मीद से बढ़कर मिल

रहा ग्रामीणों का सहयोग

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल बालू के कार्यकारी प्रधानाचार्य हरवीर शास्त्री ने बताया कि विभागीय हिदायतों के अनुरूप शिक्षण संस्थान को तमाम सेवाएं दी जा रही है। जिन सुविधाओं का अभाव है उस दिशा में शिक्षा विभाग संजीदगी से कार्य कर रहा है। स्कूल प्रबंधन में ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का सहयोग उम्मीद से बढ़ मिल रहा है।


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