संकट के बीच आशा की किरणें
कोरोना वायरस की महामारी में आशा वर्कर भी मेहनत से कार्य कर रही हैं। विभाग ने सभी वर्करों को क्षेत्र के तहत विदेशों से आए लोगों की जानकारी जुटाने परिवार के सदस्यों की बुखार की जांच करने के आदेश जारी किए हैं।
जागरण संवाददाता, कैथल :
कोरोना वायरस की महामारी में आशा वर्कर भी मेहनत से कार्य कर रही हैं। विभाग ने सभी वर्करों को क्षेत्र के तहत विदेशों से आए लोगों की जानकारी जुटाने, परिवार के सदस्यों की बुखार की जांच करने के आदेश जारी किए हैं। आशा वर्करों का वेतन बहुत कम है। ऐसे में उन्होंने सरकार के फैसले को आशाओं पर भी लागू कर वेतन बढ़ाने की मांग की है। वर्करों का कहना है कि इस भयंकर बीमारी के बीच वह अपनी नौकरी के साथ समाजहित का भी कार्य कर रही हैं।
संकट के दौरान कार्य कर रही :
आशा वर्कर यूनियन की जिला प्रधान सुषमा रानी ने बताया कि सभी लोगों को घरों में रहने की आदेश जारी किए गए हैं। लेकिन आशा वर्कर भी बीमारी के डर के दौरान अपनी ड्यूटी निभा रही हैं। सरकार की ओर से उन्हें मास्क और सैनिटाइजर भी दिया है। लेकिन वह बहुत कम मात्रा में है। कार्य के मुताबिक अधिक सैनिटाइजर उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। वह प्रतिदिन फील्ड में जाकर लोगों की जांच के साथ उन्हें जागरूक भी कर रही हैं।
आशा वर्करों का कार्य पहले की तरह जारी :
यूनियन की जिला सचिव सरबजीत सिंह ने बताया कि वैसे तो सरकार की ओर से लॉकडाउन लागू होने के कारण सब कुछ बंद किया गया है। परंतु आशा वर्करों का अभी भी वहीं कार्य है, जिसे वह सामान्य दिनों में करती है। सरकार ने आशा वर्करों की महिलाओं को जागरूक करने के लिए आयोजित शिविरों को भी बंद किया गया है। जिस कारण उन्हें इनसेंटिव नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को दोगुना वेतन देने का फैसला लिया है। इसके अनुसार सरकार आशा वर्करों का वेतन भी डबल करे।