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8 महीने में ही जिले में पॉलिथिन मुक्त अभियान की निकली हवा

आठ महीने में ही जिला को पॉलिथिन मुक्त बनाने के प्रशासन के अभियान की हवा निकल गई। अब तक सात ¨क्वटल पॉलिथिन जुटाकर प्रशासन ठंडा पड़ गया। कागजों में प्रशासन ने जो पॉलिथिन एकत्र किया उसमें भी गड़बड़ी है। कागजों के अनुसार सात हजार 134 किलो पॉलिथिन एकत्र किया गया था। इसमें से चार हजार 46 किलो गांव से और तीन हजार 188 किलो शहर से एकत्र किया था। कागजों में ही इसका निपटान कर दिया गया था, लेकिन अभी भी इसमें कई क्विंटल पॉलिथिन बीडीपीओ कार्यालय के प्रांगण में पड़ा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 12:54 AM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 12:54 AM (IST)
8 महीने में ही जिले में पॉलिथिन  मुक्त अभियान की निकली हवा
8 महीने में ही जिले में पॉलिथिन मुक्त अभियान की निकली हवा

जागरण संवाददाता, कैथल : आठ महीने में ही जिला को पॉलिथिन मुक्त बनाने के प्रशासन के अभियान की हवा निकल गई। अब तक सात ¨क्वटल पॉलिथिन जुटाकर प्रशासन ठंडा पड़ गया। कागजों में प्रशासन ने जो पॉलिथिन एकत्र किया उसमें भी गड़बड़ी है। कागजों के अनुसार सात हजार 134 किलो पॉलिथिन एकत्र किया गया था। इसमें से चार हजार 46 किलो गांव से और तीन हजार 188 किलो शहर से एकत्र किया था। कागजों में ही इसका निपटान कर दिया गया था, लेकिन अभी भी इसमें कई क्विंटल पॉलिथिन बीडीपीओ कार्यालय के प्रांगण में पड़ा है।

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अधिकारी और सरपंचों की तो पहले ही इस अभियान में रुचि नहीं थी। तत्कालीन एडीसी पार्थ गुप्ता ने यह अभियान जितनी तेजी से चलाया था मातहत अधिकारियों ने उतनी ही तेजी से इसको फ्लॉप कर दिया है।

पार्थ गुप्ता का अक्टूबर में कैथल से तबादला हुआ था, लेकिन अगस्त के बाद उन्होंने भी अभियान में रुचि नहीं दिखाई थी। इससे पहले उन्होंने कई बार सरपंचों और अधिकारियों की बैठक लेकर अभियान को सफल बनाने के प्रयास किए थे, लेकिन उनके जाने के बाद ये सिरे नहीं चढ़ पाए।

स्कूलों में भी शुरू किया गया था अभियान

तत्कालीन एडीसी पार्थ गुप्ता ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर सरकारी स्कूलों में भी पॉलिथिन एकत्र करने का अभियान चलाया था, लेकिन यह भी ज्यादा सफल नहीं हुआ। सिर्फ सौ किलो पॉलिथिन ही एकत्र हो पाया था। पार्थ गुप्ता के जाने के बाद स्कूलों से भी अभियान ने अपना मुंह मोड़ लिया।

सरपंचों ने चित्र ¨खचवाने तक

सीमित रखा था अभियान

अभियान शुरू करते समय सरपंचों को निर्देश दिए गए थे कि वे हर व्यक्ति को पॉलिथिन के नुकसान बताते हुए कम से कम इस्तेमाल के लिए प्रेरित करेंगे। जो पॉलिथिन आता है उसको जलाने या नालियों में फेंकने के स्थान पर एकत्र कर प्रशासन को सौंपेंगे, लेकिन सरपंचों ने तुरंत जाकर गांव में चौकीदार से कुछ पॉलिथिन एकत्र करवाए उनके साथ फोटो ¨खचवाकर इसके फ्लॉप बनाने में अपनी आहुति दे दी थी।

परेशान हैं एसएसए के कर्मचारी

बीडीपीओ कार्यालय प्रांगण में पड़े पॉलिथीन से समग्र शिक्षा अभियान के अधिकारी, कर्मचारी परेशान हैं। उनका कहना है कि पिछले कई महीनों से यह गंदगी पड़ी हुई है और कोई सुध नहीं ले रहा है।

खरीदने को तैयार नहीं पोलिथिन

पूरे प्रदेश में यह अभियान चलाया गया था। पॉलिथिन एकत्र तो कर लिया जाता है, लेकिन इसको खरीदने को कोई तैयार नहीं है। अगले सप्ताह की वह बैठक लेकर इस अभियान को फिर से शुरू करेंगे।

- सतबीर ¨सह कुंडू, एडीसी कैथल।


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