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नशा मुक्ति केंद्र में एक ही डाक्टर, वह भी छुंट्टी पर, मरीज हलकान

जागरण संवाददाता कैथल सरकारी अस्पताल में सरकारी अस्पताल में बने नशा मुक्ति केंद्र में पिछले करीब दो महीने से डॉक्टर छुट्टी पर चल रहे हैं। मानसिक रोगी व नशे के शिकार 80 से 100 मरीज रोजाना इलाज के लिए पहुंचते हैं लेकिन डॉक्टर नहीं होने से या तो इनको वापस लौटा दिया जाता है या फिर कुरुक्षेत्र और रोहतक के लिए रेफर कर दिया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 10:49 AM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 10:49 AM (IST)
नशा मुक्ति केंद्र में एक ही  डाक्टर, वह भी छुंट्टी पर, मरीज हलकान
नशा मुक्ति केंद्र में एक ही डाक्टर, वह भी छुंट्टी पर, मरीज हलकान

जागरण संवाददाता, कैथल : सरकारी अस्पताल में बने नशा मुक्ति केंद्र में पिछले करीब दो महीने से डॉक्टर छुट्टी पर चल रहे हैं। मानसिक रोगी व नशे के शिकार 80 से 100 मरीज रोजाना इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं होने से या तो इनको वापस लौटा दिया जाता है या फिर कुरुक्षेत्र और रोहतक के लिए रेफर कर दिया जाता है।

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एक तरफ नशे के मरीज व मानसिक रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है दूसरी तरफ केंद्र में एक ही डॉक्टर हैं वह भी छुट्टी पर चल रहे हैं। केंद्र पर डॉक्टर नहीं मिलने से 10 कर्मचारियों का स्टाफ पूरा दिन खाली बैठक घरों का लौट जाता है।

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मरीजों को पुरानी दवाई

देकर वापस भेजा रहा

ओपीडी में आने वाले नए मरीजों को काउंसलिग के बाद रेफर कर दिया जाता है, वहीं पुराने मरीजों को पहले से चल रही दवाई दोबारा लिखकर वापस भेज दिया जाता है। इन मरीजों को कोई परेशानी हो तो इलाज मिलना असंभव है।

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खाली पड़े हैं बेड व कमरे

नशा मुक्ति केंद्र में ओपीडी के कमरे और बेड खाली पड़े हैं। केंद्र में पिछले कई महीनों से कोई मरीज नहीं पहुंचा है, जबकि मरीज दाखिल करने के लिए गुहार लगाते रहते हैं। स्टाफ का कहना है कि बिना डॉक्टर के ना तो ओपीडी संभव है और ना ही मरीजों को दाखिल किया जा सकता है।

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नशे के 10 से 15 मरीज हर

महीने होते थे दाखिल

नशा मुक्ति केंद्र में नशा से छुटकारा पाने के लिए हर महीने से 10 से 15 मरीज दाखिल होते हैं। इसके अलावा 150 से 200 मानसिक रोगी हर महीने इलाज शुरू होता है। इसके अलावा हजारों की संख्या में लोग काउंसलिग के लिए पहुंचते हैं।

वर्जन : डाक्टरों की कमी से मरीज परेशान

नशा मुक्ति केंद्र में डॉक्टर के छुट्टी पर जाने से मरीजों को परेशानी हो रही है, लेकिन डॉक्टरों की कमी के चलते वैकल्पिक व्यवस्था भी संभव नहीं है। मरीजों के आते ही काउंसलिग करके रेफर किया जा रहा है। जो पुराने मरीज हैं उनको दवाई लिखी जा रही है। कुछ ही दिन में डॉक्टर ज्वाइन कर लेंगे।

- डॉ. सुरेंद्र नैन, सिविल सर्जन कैथल।


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