डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे सरकारी अस्पताल
सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं हर चुनाव में बड़ा मुद्दा बनते हैं। कैथल भी इससे अछूता नहीं है। यहां सरकार किसी भी पार्टी की रही हो लेकिन हालात नहीं बदले। हर सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के आश्वासन देकर आती है लेकिन जिस अनुपात में मरीजों की संख्या बढ़ रही डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की बजाय कम होती हा रही है।
जागरण संवाददाता, कैथल : सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं हर चुनाव में बड़ा मुद्दा बनते हैं। कैथल भी इससे अछूता नहीं है। यहां सरकार किसी भी पार्टी की रही हो, लेकिन हालात नहीं बदले। हर सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के आश्वासन देकर आती है, लेकिन जिस अनुपात में मरीजों की संख्या बढ़ रही डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की बजाय कम होती हा रही है। सभी सरकारी अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। मुख्य अस्पताल में ही 2014 के मुकाबले 2019 में डॉक्टरों की संख्या घट गई है। अस्पताल में डॉक्टरों के 55 पद स्वीकृत हैं, लेकिन अब तक 29 से ज्यादा डॉक्टर अस्पताल को नहीं मिले हैं। वर्तमान में सिर्फ 19 डॉक्टर ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
बॉक्स
ये है जिले में डॉक्टरों की स्थिति
स्वास्थ्य विभाग में उप-सिविल सर्जन के आठ में से सात पद, पीएमओ का एक पद, कैथल मुख्य अस्पताल में एसएमओ के पांच में से एक पद, सीएचसी में एमएमओ के छह में से पांच पद, मुख्य अस्पताल में 55 में से 36 पद और सभी सीएचसी, पीएचसी में डॉक्टरों के 42 में से 43 पद खाली पड़े हैं। मरीजों की ओपीडी को देखते हुए डॉक्टरों की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है। मुख्य अस्पताल सहित ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे जैसी सुविधाएं भी नहीं है।
बॉक्स : स्वास्थ्य केंद्र पर एक भी डाक्टर नहीं है
स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हाईकोर्ट में गांव बालू के ग्रामीणों का केस लड़े रहे गांव के ही वकील प्रदीप रापड़िया का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र पर एक भी डॉक्टर नहीं है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। ग्रामीणों ने उनके से संपर्क किया तो वे इस जनहित के मुद्दे पर केस लड़ने को तैयार हो गया। अब उनका मकसद कोर्ट के माध्यम से गांव बालू ही नहीं पूरे जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं दिलवाना है।
बॉक्स: आयुष्मान योजना का नहीं मिल रहा लाभ
गांव मानस निवासी संदीप का कहना है कि डॉक्टरों की कमी से आयुष्मान योजना का लाभ भी लोगों नहीं मिल पा रहा है। निजी अस्पतालों में मरीजों को सही ढंग से इलाज नहीं मिल रही है। डॉक्टरों की कमी को तुरंत दूर किए जाने की जरूरत है। बीमारी के इलाज पर लोगों की कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा खर्च हो रहा है।