130 सालों से निरंतर चल रही अंग्रेजों के जमाने की पनचक्की
फतेहपुर गांव में सिरसा ब्रांच नहर पर अंग्रेजों के जमाने में बनी पनचक्की आज भी पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखती है। आटा पिसाई की दृष्टि से ही नहीं बल्कि देश की प्राचीन धरोहर में इसका नाम शुमार है।
संजय कुमार तलवाड़, पूंडरी : फतेहपुर गांव में सिरसा ब्रांच नहर पर अंग्रेजों के जमाने में बनी पनचक्की आज भी पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखती है। आटा पिसाई की दृष्टि से ही नहीं बल्कि देश की प्राचीन धरोहर में इसका नाम शुमार है।
जिले के ही नहीं प्रदेश भर के कई स्कूलों के बच्चे और पर्यटक भी इसे देखने यहां पहुंचते है। ये चक्की पूरी तरह पानी से चलती है और साल में करीब 6 महीने जब नहर में पानी आता है, तो यहां फतेहपुर ही नहीं दूर-दूर से लोग आटा पिसवाने आते है। हालांकि हमारे देश में अब चुनिदा पनचक्की ही बची है, लेकिन इनमें से एक चक्की हरियाणा के कैथल जिले के गांव फतेहपुर-पूंडरी में स्थित है।
करीब 127 साल पुरानी यह आटा चक्की अंग्रेजों ने 1890 में बनवाई थी। इसकी खास बात ये है कि यह चक्की आज भी चल रही है और लोग इसका पिसा आटा खाते हैं। एक अन्य खासियत यह है कि इससे पिसा हुआ आटा भी एकदम ठंडा होता है। यह भारत कि सबसे पुरानी चालू पनचक्की में से एक है। इस चक्की की खास बात ये है कि इसके आस-पास का वातावरण पूरी तरह प्राकृतिक है और यहां प्रकृति की एक मनोरम छटा देखने को मिलती है।
बाक्स- चक्की सिचाई विभाग के अधीन आती
यह चक्की फतेहपुर से नैना-धौंस रोड़ पर सरसा ब्रांचनहर पर बनी हुई है। जब नहर में पानी चलता है तो यह चक्की चलती है। इसके लिए नहर का पानी लोहे के बड़े-बड़े पंखों के ऊपर डाला जाता है। जिससे कि वो घूमते है और चक्की चलती है। यहां पर 5 चक्कियां लगी हुई है जो कि एक घंटे में लगभग 200 किलोग्राम गेहूं कि पिसाई कर देती है। चक्की सिचाई विभाग के अधीन आती है जो कि उसे सालाना ठेके पर देता है। इस चक्की की एक ओर खासियत है। इस पर तुलाई करने के लिए कोई भी तोलने के लिए कांटा नहीं रखा गया है। जो भी व्यक्ति आटा पिसवाने के लिए आता है। वह खुद ही चक्की में डालता है और अपना आटा खुद ही कट्टे में डालता है। इस चक्की पर फतेहपुर, पूंडरी, नैना, धौंस, काकौत व अन्य कई गांव के लोग भी आटा पिसवाने आते है।
बाक्स- स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है
पनचक्की को ठेके पर लेने वाले ठेकेदार ने बताया कि इस चक्की का पिसा आटा ठंडा और स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। साथ ही यहां की पिसाई भी बाजार की चक्की से पड़ती है। यहां पिसाई प्रति मन केवल पचास रुपये में की जाती है।