बढ़ रहा साइक्लिंग का शौक, स्वस्थ रहने के लिए चला रहे साइकिल
बुधवार को विश्व साइकिल दिवस है। वर्तमान में संसाधनों की कोई कमी है। इसलिए अब अधिकतर लोग साइकिल नहीं चलाते हैं।
जागरण संवाददाता, कैथल : बुधवार को विश्व साइकिल दिवस है। वर्तमान में संसाधनों की कोई कमी है। इसलिए अब अधिकतर लोग साइकिल नहीं चलाते हैं। बदलते समय में जीवन बदला है। लेकिन इस समय भी कई ऐसे लोग हैं, जो बड़े वाहन रखते हुए पर्यावरण और अपनी सेहत के लिए साइकिल चला रहे हैं।
शुगर, बीपी की नहीं होती है बीमारी
गांव शेरगढ़ के राजकीय बहुतकनीकि कॉलेज में कार्यरत 40 वर्षीय प्राध्यापक राजबीर सिंह भी प्रतिदिन सुबह और शाम चार घंटे तक साइकिल चलाते हैं। राजबीर ने बताया कि उन्होंने 20 व्यक्तियों का एक ग्रुप बनाया है। जो सुबह के समय शहर में साइकिलिग करते हैं। उन्होंने बताया कि साइकिल चलाने से व्यक्ति तंदरुस्त रहता है। बीमारी भी नहीं लगती है। जो लोग साइकिल चलाते हैं उन्हें शुगर, बीपी की भी कोई बीमारी नहीं होती है। इसके साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और फेफड़े काफी मजबूत रहते हैं। ऐसे में कोरोना की महामारी के बीच साइकिल चलाना बहुत महत्वपूर्ण है। दिल की बीमारियां भी नहीं होती है।
15 किलोमीटर तक साइकिलिग करते
नेशनल साइकिलिस्ट नरेश कुमार भी प्रतिदिन 15 किलोमीटर तक साइकिलिग करते हैं। नरेश ने बताया कि पहले के समय में साइकिल एक वाहन के रुप में प्रयोग किया जाता था। लेकिन वर्तमान में इसे सेहत ठीक रखने के लिए चलाया जा रहा है। यह हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
39 साल तक साइकिल पर गए नौकरी पर :
सेक्टर 20 निवासी हरिचंद कैंदल का भी साइकिलिग को लेकर काफी लंबा अनुभव रहा है। कैंदल ने बताया कि वर्ष 1962 में उन्होंने एक मास्टर के रूप में नौकरी में ज्वाइन की थी। करीब 39 साल तक जिले में जहां भी पोस्टिग रही। वहीं साइकिल पर जाते थे। इसी का नतीजा है कि वह इस समय बिल्कुल ठीक है। उन्होंने बताया कि इस समय कोरोना की बीमारी के बीच उन्होंने साइकिलिग करना छोड़ दिया है। इससे पहले वह लगातार साइकिल चलाते थे।