कैथल के हरविंद्र ने तीरंदाजी में गोल्ड पर लगाया निशाना
जिले के छोटे से गांव अजीतनगर निवासी हर¨वद्र ¨सह ने तीरंदाजी में पैरा एशियन गेम्स में बुधवार को निशाना लगा गोल्ड मेडल हासिल किया। उन्होंने पुरुषों के रिकर्व ओपन डब्ल्यू टू स्पर्धा में यह कामयाबी हासिल की। यह प्रतियोगिता इंडोनेशिया के जकार्ता में खेली जा रही है जो छह अक्टूबर से शुरू होकर 13 अक्टूबर तक चलेगी। देशभर से सात तीरंदाज तीन रिकर्व व चार कंपाउड स्पर्धा में भाग ले रहे। कुल 38 प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया।
सुनील जांगड़ा, कैथल : जिले के छोटे से गांव अजीतनगर निवासी हर¨वद्र ¨सह ने तीरंदाजी में पैरा एशियन गेम्स में बुधवार को निशाना लगा गोल्ड मेडल हासिल किया। उन्होंने पुरुषों के रिकर्व ओपन डब्ल्यू टू स्पर्धा में यह कामयाबी हासिल की। यह प्रतियोगिता इंडोनेशिया के जकार्ता में खेली जा रही है जो छह अक्टूबर से शुरू होकर 13 अक्टूबर तक चलेगी। देशभर से सात तीरंदाज तीन रिकर्व व चार कंपाउड स्पर्धा में भाग ले रहे। कुल 38 प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया। खिलाड़ी हर¨वद्र ¨सह ने बताया कि फाइनल मुकाबले में चीन के खिलाड़ी को पहले तीन राउंड में ही हरा दिया। इससे पहले कोरिया तीरंदाज के साथ सेमीफाइनल मुकाबले में जीत दर्ज करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। पहले मुकाबले में दोनों के पांच-पांच अंक आए। उसके बाद दोबारा से दोनों को एक-एक तीर चलाने के लिए दिया गया। उसमें भी दोनों के दस-दस नंबर आए। अंतिम बार में जो तीर चलाया उसमें कोरिया के निशानेबाज को नौ और उसे दस नंबर मिले। कोच जीवन जोत ¨सह व गौरव शर्मा का इस जीत में अहम योगदान है।
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2012 से लगातार कर रहे अभ्यास
हर¨वद्र ¨सह ने बताया कि 2012 में हुए ओलंपिक खेलों को देखा था। तभी से खेलना शुरू कर दिया और तीरंदाजी में अपना भाग्य आजमाना शुरू किया। वे पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला से मौजूद समय में ट्रे¨नग ले रहे हैं। बचपन में ही उन्हें गलत इंजेक्शन लग गया था, जिस कारण उनकी टांग की ग्रोथ रुक गई थी। उनकी एक टांग दूसरी टांग से पतली है। 2017 में चाइना में पैरा तीरअंदाजी के खेल हुए थे, जिससे उन्होंने सातवां रैंक हासिल किया। तीन महीने पहले ही चेक रिपब्लिक में विश्व तीरंदाजी प्रतियोगिता हुई थी उसमें भी उन्होंने सातवां स्थान हासिल किया।
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एक महीना पहले हुआ
माता का देहांत
उन्होंने बताया कि एक महीने पहले ही उनकी माता हरबजन कौर का हार्ट अटैक से देहांत हो गया। दस दिन के लिए उन्होंने अपनी ट्रे¨नग बीच में ही छोड़नी पड़ी। घटना ने उन्हें अंदर से पूरी तरह से तोड़ दिया था, लेकिन देश के लिए कुछ करना था तो दोबारा अभ्यास के लिए पहुंचा। पिता परमजीत ¨सह ने पूरा सहयोग दिया। वे खेतीबाड़ी कर परिवार का गुजारा करते हैं। वे तीन भाई बहन हैं, जिनमें से भाई बहन की शादी हो चुकी है। वे पटियाला विश्वविद्यालय से ही अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर रहे हैं।