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अभिभावकों ने पूछे सवाल, किशोरावस्था में कुसंगतियों से बचने के दिए गए टिप्स

बाल कल्याण परिषद की राज्य स्तरीय परियोजना बाल सलाह परामर्श एवं कल्याण केंद्रों की स्थापना के अंतर्गत गांव कमालपुर के ज्ञानदीप एकेडमी के फेसबुक पेज के माध्यम से विद्यार्थियों शिक्षकों व अभिभावकों को ऑनलाइन मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाओं का लाभ दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 06:55 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 06:55 AM (IST)
अभिभावकों ने पूछे सवाल, किशोरावस्था
में कुसंगतियों से बचने के दिए गए टिप्स
अभिभावकों ने पूछे सवाल, किशोरावस्था में कुसंगतियों से बचने के दिए गए टिप्स

जागरण संवाददाता, कैथल: बाल कल्याण परिषद की राज्य स्तरीय परियोजना बाल सलाह परामर्श एवं कल्याण केंद्रों की स्थापना के अंतर्गत गांव कमालपुर के ज्ञानदीप एकेडमी के फेसबुक पेज के माध्यम से विद्यार्थियों, शिक्षकों व अभिभावकों को ऑनलाइन मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाओं का लाभ दिया गया। वेबिनार से उन्होंने सवाल आपके-जवाब हमारे कार्यक्रम के माध्यम से राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक से कई सवाल पूछे। इनमें किशोरावस्था के दौरान कुसंगति से बच्चों के बचाव के उपाय कैसे हो? एकाग्रता कैसे बढ़ाएं? परीक्षा में कम नंबर की वजह से उत्पन्न हो? रहे तनाव व अवसाद की स्थिति में माता-पिता की भूमिका। शिक्षा पद्धति में मुगलकालीन इतिहास के बारे में भावी पीढ़ी को सीख, शिक्षा में संस्कारों के गिरते स्तर की जिम्मेदारी व शिक्षा में पश्चिमीकरण का प्रभाव, मानसिक तनाव की स्थिति में बच्चे मन की शांति कैसे ग्रहण करें? शिक्षा में नंबरों को ज्ञान की अपेक्षा महत्व कम क्यों? आदि शामिल है

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अनिल मलिक ने सुझाव दिया कि माता-पिता को बच्चों की बेहतर सुरक्षा एवं देखभाल के मद्देनजर पाठ्यक्रम की शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की स्थापना आवश्यक रूप से करते रहना चाहिए। किशोरावस्था में विशेष तौर से समूह के दोस्तों का प्रभाव अधिक होता है। भावनात्मक अनियंत्रितता व हार्मोनल बदलाव के प्रभाव में कई बार होनहार, मेधावी छात्र अपने उज्ज्वल भविष्य की दुनिया से बेखबर होते हुए परिवार से प्राप्त संस्कार प्यार, दुलार सब भूलकर कुसंगति की गर्त में चले जाते हैं। इससे उनका जीवन बर्बाद हो जाता है। ऐसे में माता-पिता को पहले से ही किशोर मनोविज्ञान का ज्ञान हासिल करना चाहिए। फिर जीवन अनुभवों से परिस्थिति विशेष को ध्यान रख सोचते-समझते हुए उचित निर्णय लेने चाहिए।

परीक्षा परिणाम की घड़ी में हमेशा माता-पिता साथ खड़े रहें। बच्चों को विश्वास दिलाएं कि हर परिस्थिति में हम आपके साथ हैं, क्योंकि परीक्षा परिणाम जिदगी के परिणाम से बड़ा नहीं होता। एकाग्रता बढ़ाने के लिए बच्चे शांत वातावरण में अध्ययन करें। आधुनिकता की दौड़ में संस्कार, नैतिक मूल्य, आवश्यक व्यावहारिक ज्ञान का अभाव होता जा रहा है। सामाजिक दृष्टिकोण से मिलजुल कर बेहतर सार्थक व सकारात्मक प्रयास करने होंगे।

इस वेबिनार में प्राचार्य पवन ढुल, जिला बाल कल्याण अधिकारी राजेंद्र बहल, बलविद्र, परामर्शदाता ज्ञानचंद भल्ला, नीरज कुमार, कार्यक्रम अधिकारी मलकीत चहल मौजूद रहे।


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