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पिछले 40 साल से हरियाणवीं संस्कृति को बचाने में जुटे संगीतकार श्याम सुंदर गौड़

चंदाना गेट स्थित तिवाड़ी मोहल्ला निवासी संगीतकार श्याम सुंदर गौड़ पिछले 40 साल से हरियाणवीं संस्कृति को बचाने में जुटे हैं। इन्होंने संगीत के क्षेत्र में काफी मुकाम हासिल किए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 09:01 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 09:01 AM (IST)
पिछले 40 साल से हरियाणवीं संस्कृति को बचाने में जुटे संगीतकार श्याम सुंदर गौड़
पिछले 40 साल से हरियाणवीं संस्कृति को बचाने में जुटे संगीतकार श्याम सुंदर गौड़

जागरण संवाददाता, कैथल :

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चंदाना गेट स्थित तिवाड़ी मोहल्ला निवासी संगीतकार श्याम सुंदर गौड़ पिछले 40 साल से हरियाणवीं संस्कृति को बचाने में जुटे हैं। इन्होंने संगीत के क्षेत्र में काफी मुकाम हासिल किए हैं। वह अभी तक संगीत विषय की 50 से अधिक किताबें भी लिख चुके है। जिसे संगीत के विद्यार्थी वर्तमान समय में पढ़ रहे है। इस समय गौड़ की आयु 80 वर्ष है। उन्होंने संगीत अध्यापक के रुप में लगातार 35 वर्ष तक विभिन्न शिक्षण संस्थानों में नौकरी भी की है। श्याम सुंदर गौड़ ने बताया कि जब वह वर्ष 1956 में आठवीं में पढ़ते थे। उस समय स्कूल में एक अध्यापक कव्वाली सिखाते थे। उन्हीं के माध्यम से उन्हें संगीत के धुन सीखने की ललक उठी। इसके बाद वह संगीतकार खुशी राम खुराना से जुड़े, उनसे उन्होंने संगीत के बारे में काफी कुछ सीखा है। संगीत में रुचि होने के बाद वह लगातार अभ्यास करते रहे। गोड़ ने कहा कि संगीत की कोई जाति, धर्म नहीं होती है। इसके माध्यम से मनुष्य प्रभु के कार्य में लीन हो जाता है। उन्होंने संगीत में अब तक आठ किताबें लिखी है। जिसमें कैथल का इतिहास, हरियाणा का इतिहास, संक्षिप्त रामायण, काव्याजंलि अन्य साहित्य से जुड़ी है। उन्होंने 1972 में संगीत विषारद डिग्री की चंडीगढ़ से ली। वह अब तक 300 संगीत कंपोज कर चुके हैं। वह समय-समय पर आकाशवाणी से भी जुड़ते रहते हैं। जहां अपने संगीत की प्रस्तुति देते हैं। गौड़ ने कहा कि वर्तमान में संगीत में अधिक आकर्षण नहीं है। काफी चीजों को बदला गया है।

कोरोना काल में सरकार करे सहायता : संगीतकार श्याम सुंदर गौड़ ने कहा कि इस कोरोना के काल में सबसे अधिक मार कलाकारों पर भी पड़ी है। इस समय उन्हें अपना गुजारा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए वह सरकार से मांग करते हैं कि कलाकारों को गुजारे लायक भत्ता दें।


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