खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने आढ़तियों के साथ की 23 लाख की ठगी
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा आढ़तियों के साथ करीब 23 लाख की ठगी की गई वहीं सरकार को भी लाखों का चूना लगाया जा रहा है। मंडी आढ़ती विजय कुमार राम नारायण सुरेश कुमार राम कुमार जसमेर ने बताया कि विभाग द्वारा वर्ष 2019 में अप्रैल और मई माह में मंडी से गेहूं की खरीद की थी। गेहूं की खरीद के बाद आढ़तियों को लगभग दो करोड़ की आढ़त दी थी। इस आढ़त पर इस खरीद एजेंसी के द्वारा 5 प्रतिशत के हिसाब से आढ़तियों से टीडीएस के रूप में टैक्स काटा था।
जागरण संवाददाता, कैथल : खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा आढ़तियों के साथ करीब 23 लाख की ठगी की गई, वहीं सरकार को भी लाखों का चूना लगाया जा रहा है। मंडी आढ़ती विजय कुमार, राम नारायण, सुरेश कुमार, राम कुमार, जसमेर ने बताया कि विभाग द्वारा वर्ष 2019 में अप्रैल और मई माह में मंडी से गेहूं की खरीद की थी। गेहूं की खरीद के बाद आढ़तियों को लगभग दो करोड़ की आढ़त दी थी। इस आढ़त पर इस खरीद एजेंसी के द्वारा 5 प्रतिशत के हिसाब से आढ़तियों से टीडीएस के रूप में टैक्स काटा था। टैक्स के साथ ही इसका रिटर्न भरना होता है, जो बाद में आढ़तियों को रिफंड के रूप में मिलता है।
आढ़तियों से काटने के बावजूद इस खरीद एजेंसी के द्वारा काटा गया लगभग 10 लाख रुपये जमा नहीं करवाए, क्योंकि मंडी के किसी भी आढ़ती के खाते में यह टैक्स नही दिखाई देता था। उन्होंने बताया कि यदि टैक्स जमा भी करवा दिया होगा तो इस खरीद एजेंसी के द्वारा अभी तक इसकी रिटर्न नही भरी है। ऐसा न होना आढ़तियों के लिये यह टैक्स किसी काम का नहीं। यदि खरीद एजेंसी के द्वारा अब इस टैक्स को भरा जाता है या इसकी रिटर्न भरी जाती है तो भारी भरकम जुर्माना व ब्याज भरना पड़ेगा, जो कई लाखों में बैठता है। इससे प्रदेश सरकार को भी लाखों का चुना लगेगा।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार इस खरीद एजेंसी के द्वारा मंडी में से वर्ष 2019 के अक्टूबर- नवम्बर माह में किसानों की धान खरीद की गई थी। इसकी आढ़तियों को आढ़त लगभग ढाई करोड़ दी गई थी। खरीद एजेंसी के द्वारा इसमें भी लापरवाही बरती गई और यह आढ़त अप्रैल 2020 में दी। इसका टीडीएस लगभग 13 लाख बनाता वह भी जमा नहीं करवाया। यदि करवाया भी तो वह वर्ष 2020 में भरा होगा, क्योंकि यह भी आढ़तियों के इन्कम टैक्स के खाते में दिखाई नहीं दे रहा। इस कारण से आढ़त वर्ष 2019-20 की और भरा होगा 2020-21 में । जिस कारण से यह भी आढ़तियों के किसी काम का नहीं। कोरोना के कारण इसको लेट फीस के साथ 2019- 20 में भी भरा जा सकता था, लेकिन विभाग ने ऐसी नही किया। खरीद एजेंसी की लापरवाही के कारण जहां आढ़तियों का यह वापस मिलने वाला लगभग 23 लाख का टैक्स बेकार जा रहा है, वही लेट फीस व जुर्माना आदि से प्रदेश सरकार को कई लाखों का नुकसान झेलना पड़ेगा।
अकाउंट विभाग में करेंगे पता- डीएफएससी
खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक प्रमोद शर्मा ने कहा कि उन्हें इस तरह की कोई जानकारी नहीं है। अगर ऐसा मामला है तो इस बारे में अपने अकाउंट विभाग में पता करेंगे।