एफसीआइ की खरीद प्रणाली को मजबूत करने के लिए किसानों ने दिया धरना
किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर एफसीआइ की खरीद प्रणाली को मजबूत करने के लिए किसानों ने जींद रोड एफसीआइ कार्यालय के गेट के बाहर धरना देकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
जागरण संवाददाता, कैथल : किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर एफसीआइ की खरीद प्रणाली को मजबूत करने के लिए किसानों ने जींद रोड एफसीआइ कार्यालय के गेट के बाहर धरना देकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। धरने की अध्यक्षता किसान होशियार गिल व भरत सिंह बेनीवाल ने की।
उन्होंने कहा कि पूरे भारत में भारतीय खाद्य निगम को मजबूत करने के लिए किसानों द्वारा धरने दिए जा रहे है। सरकार बड़ी-बड़ी कंपनियों के हाथों किसानों की गेहूं को बेचना चाहती है। भाजपा सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों व एमएसपी की गारंटी के लिए किसान पिछले 131 दिन से धरने प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान अपनी फसलों के मूल्यों को लेकर चितित है।
एफसीआइ को खरीद प्रक्रिया से दूर किया जा रहा है। इसके विरोध में सभी एफसीआइ कार्यालयों के बाहर घेराबंदी के माध्यम से अपनी मांगें सरकार तक पहुंचा रहे है। पूंडरी की मंडी को बंद किया जा रहा है। सरकार आढ़तियों की जगह सीधे मिलों में तुलाई करवा रही है। इससे आढ़ती व किसान का आपस का भाईचारा खत्म हो जाएगा।
ये थी किसानों की मांग
गेहूं की खरीद के लिए जमाबंदी जमा करने के फैसले को वापस लिया जाए, फसल का भुगतान काश्तकार को किया जाना चाहिए। सीधे बैंक खाते में भुगतान की व्यवस्था वर्तमान में वापस की जानी चाहिए। यह किसानों को फसल की कीमत चुकाने में बाधा उत्पन्न करेगी। निर्धारित एमएसपी व इससे ज्यादा मूल्य पर फसलों की खरीद की जरूरत है।
भारत सरकार एफसीआइ का लगातार बजट कम कर रही है। एफसीआइ के खरीद केंद्रों को कम कर दिया गया है इसलिए एफसीआइ को पूर्ण बजट प्राप्त करवाना चाहिए। सरकार द्वारा भंडारण जारी रखा जाना चाहिए।
किसान की फसल खरीद की प्रक्रिया को न्यूनतम समय में पूरा किया जाए, बारदाना और अन्य सुविधाओं की कमी के कारण किसानों को किसी समस्या का सामना न करना पड़े। एफसीआइ के अस्थायी कर्मचारियों को पक्का किया जाए, रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए।
ये रहेगा किसानों का आगामी कार्यक्रम-
वहीं, आठ अप्रैल को प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा जिला मुख्यालयों पर हरियाणा संपत्ति क्षति वसूली विधेयक की प्रतियां जलाई जाएंगी। 14 अप्रैल को डा. भीमराव आंबेडकर जयंती को संविधान बचाओ किसान बचाओ दिवस के रूप में मनाया जाएगा। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार तीनों कानून वापस नहीं लेती, तब तक धरने प्रदर्शन जारी रहेंगे।