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कृषि विधेयक के विरोध में सड़कों पर उतरे किसान और आढ़ती

शुक्रवार को कृषि विधेयक के विरोध में भारत बंद को लेकर किसान आढ़ती और कर्मचारी संगठन सड़कों पर उतरे और कई जगह जाम लगाया। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) सहित कई संगठनों ने मिलकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 06:09 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 06:09 AM (IST)
कृषि विधेयक के विरोध में सड़कों 
पर उतरे किसान और  आढ़ती
कृषि विधेयक के विरोध में सड़कों पर उतरे किसान और आढ़ती

जागरण संवाददाता, कैथल: शुक्रवार को कृषि विधेयक के विरोध में भारत बंद को लेकर किसान, आढ़ती और कर्मचारी संगठन सड़कों पर उतरे और कई जगह जाम लगाया। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) सहित कई संगठनों ने मिलकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। वहीं सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कृषि विधेयक को काला कानून करार दिया। इससे पहले किसान लघु सचिवालय में एकत्रित हुए। सभी जगहों पर कृषि विधेयक वापस लेने के लिए ज्ञापन सौंपे गए।

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उसके बाद शहर में प्रदर्शन करते हुए छोटूराम चौक पर पहुंचकर सरकार का पुतला फूंका। प्रधान होशियार गिल ने कहा कि भाजपा सरकार कृषि विधेयक किसानों पर थोप रही है। इससे किसान किसी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। इस मौके पर विक्रम कसाना, भूरा राम पबनावा मौजूद रहे।

यहां लगाया गया जाम-

नेशनल हाइवे-152 पर शिमला, खरक, गुहला, सीवन, कैथल से गुहला रोड, छोटू राम चौक पर किसानों ने लगाया। आधा घंटा प्रदर्शन करने के बाद पुलिस ने सभी जगह से समझा बुझा कर जाम को खुलवा दिया। जगह- जगह जाम लगने के कारण लोग परेशान रहे। पुलिस ने वाहनों को डाइवर्ट कर दूसरे रास्तों से निकाला। किसान सड़कों पर बैठे कर नारेबाजी करते रहे। किसानों ने मुख्य मार्ग के बीच ट्रैक्टर ट्राली खड़ी कर जाम लगाया।

बाजार खुले, बसें बंद

जिलेभर में जाम लगने के कारण सुबह नाममात्र बसें ही बस स्टैंड से निकली। जाम को देखते हुए डिपो ने बसों को बंद करना पड़ा। प्राइवेट बसें ही रोड पर जाते हुई दिखी। वहीं दोपहर बाद सभी बसों को रूटों पर भेजा गया। भारत बंद के आह्वान के बाद भी बाजार खुले रहे। बाजारों में ग्राहकों की भी भीड़ जुटी रही। बाजारों में भारत बंद का असर नहीं देखा गया। आढ़तियों ने भी प्रदर्शन को समर्थन दिया।

-उपमुख्यमंत्री के होर्डिंग फाड़े

करनाल रोड पर उपमुख्यमंत्री के होर्डिंग पर ईंटें मारकर फाड़ दिया गया। किसानों का कहना था कि जब पंजाब की अकाली दल नेता इस्तीफा दे सकती हैं तो उपमुख्यमंत्री इस्तीफा क्यों नहीं दे सकते।

पुलिस प्रशासन रहा मुस्तैदी से तैनात-

कृषि अध्यादेश के विरोध में किसानों के भारत बंद को देखते हुए कहीं किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो, इसके लिए पुलिस प्रशासन मुस्तैदी से तैनात रहा। सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस स्थिति से निपटने के लिए मुस्तैद रही। हर सड़क पर पुलिस अलर्ट मोड पर रही। इसके लिए जिले के सभी डीएसपी सहित पुलिस जवान हर मोर्चे पर तैनात रहे। आंदोलनकारियोपर नजर रखने के लिए खुफिया तंत्र भी अलर्ट रहा ताकि भारत बंद की आड़ में किसी को भी कानून व्यवस्था हाथ में लेने वालों से पुलिस सख्ती से निपट सकें। सुबह पुलिस द्वारा जगह- जगह पर नाके लगाए गए। वाहनों की चेकिग की गई। दिनभर गाड़ियां व राइडर्स पेट्रोलिग करते रहे।

प्रदर्शन की हुई वीडियोग्राफी -

किसानों के विरोध प्रदर्शन के ऐलान को देखते हुए वीडियोग्राफी की व्यवस्था प्रशासन ने कर रखी थी। जिससे आंदोलन करने वालों को चिन्हित किया जा सके। इसके अलावा सभी थाना एसएचओ अपने अपने क्षेत्र की निगरानी रखे हुए थे। सभी प्रदर्शनों की वीडियो ग्राफी की गई।


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