Move to Jagran APP

जीरो बजट खेती से किसान कर सकते आय दोगुनी : राज्यपाल

जागरण संवाददाता, कैथल : हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वा

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Jan 2018 06:18 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jan 2018 06:18 PM (IST)
जीरो बजट खेती से किसान कर  सकते आय दोगुनी : राज्यपाल
जीरो बजट खेती से किसान कर सकते आय दोगुनी : राज्यपाल

जागरण संवाददाता, कैथल : हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा देश में जीरो बजट खेती लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। जीरो बजट खेती करके किसान 2022 तक अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं। हमारे देश में आज भयानक बीमारियां अपने पांव जमा रही है, जिसका मुख्य कारण दूषित खान-पान है।

loksabha election banner

जीरो बजट खेती से किसान आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ स्वयं भी स्वस्थ रह सकते हैं। आचार्य पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीरो बजट खेती और जैविक खेती में मौलिक अंतर है। जैविक खेती के लिए हमें महंगे दामों पर रसायनिक खाद खरीदनी पड़ती है और तीन साल बाद मुनाफा मिलना शुरू होता है। जीरो बजट खेती में पहले साल से ही किसानों को मुनाफा मिलना शुरू हो जाता है। इस खेती के लिए किसान को बाजार से भी कुछ खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कुरुक्षेत्र गुरुकुल में जीरो बजट खेती को अपनाकर बंजर भूमि से भी पहले साल पूरा उत्पादन लिया है। जीरो बजट खेती का शोध महाराष्ट्र के पद्मश्री सुभाष पालेकर ने स्वयं के फार्म पर किया था। कुरुक्षेत्र गुरुकुल द्वारा 19 से 24 मार्च तक जीरो बजट खेती पर छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें जीरो बजट खेती के शोधकर्ता सुभाष पालेकर भी भाग लेंगे।

इस मौके पर राज्यपाल के एडीसी मेजर रोहन मुंशी, मीडिया सचिव जयंत शर्मा, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. वजीर ¨सह मौजूद थे।

बॉक्स

ऐसे करें जीरो बजट

खेती की शुरूआत :

आचार्य ने कहा कि जीरो बजट खेती की शुरूआत घर में एक देसी गाय पालकर की जा सकती है। जीरो बजट खेती के तहत जीवामृत एवं घनजीवामृत पद्धतियां हैं। जीवामृत पद्धति में एक एकड़ के लिए 10 किलोग्राम देसी गाय का गोबर, पांच से 10 लीटर देशी गाय का मूत्र, एक से दो किलोग्राम गुड़, एक से दो किलोग्राम बेसन, एक किलोग्राम पेड़ के नीचे की मिट्टी तथा 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। सभी सामग्रियों को प्लास्टिक के ड्रम में घोलना है। घोल को दो से तीन दिन तक सड़ने के लिए छाया में रखना है। लकड़ी के एक डंडे से प्रतिदिन दो बार सुबह शाम पांच मिनट तक घोल को घुमाना है। यह घोल एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.