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असफलता भी नहीं रोक पाई सीमा गोस्वामी का कदम

शुक्रवार को माउंट एवरेस्ट दिवस है। इसे लेकर सीवन गांव निवासी पर्वतारोही सीमा गोस्वामी से बातचीत की गई। उन्होंने इस दिवस को लेकर खुशी जाहिर करते हुए अपने संघर्ष की कहानी ब्यां की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 09:27 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 09:27 AM (IST)
असफलता भी नहीं रोक पाई सीमा गोस्वामी का कदम
असफलता भी नहीं रोक पाई सीमा गोस्वामी का कदम

दयानंद तनेजा, सीवन : शुक्रवार को माउंट एवरेस्ट दिवस है। इसे लेकर सीवन गांव निवासी पर्वतारोही सीमा गोस्वामी से बातचीत की गई। उन्होंने इस दिवस को लेकर खुशी जाहिर करते हुए अपने संघर्ष की कहानी ब्यां की।

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सीमा ने बताया कि 20 मई 2016 में उसने माउंट एवरेस्ट को फतह किया था। पहली बार असफलता भी मिली, लेकिन इससे हौसला कम नहीं हुआ बल्कि अगली बार मौका मिलते ही जोश व उत्साह के साथ लक्ष्य को पूरा किया। सीमा ने बताया कि वर्ष 2015 में एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने के लिए चढ़ाई आरंभ की थी। जब वह एवरेस्ट फतेह करने के लिए बेस कैंप में पहुंची थी तो भूकंप आ गया और इसी कारण से एवलांच आने पर बेस कैंप तबाह हो गया। उस समय चढ़ाई को रोक दिया, लेकिन सीमा ने हिम्मत नहीं हारी और संघर्ष करते हुए मिशन को फतह किया।

मुश्किलों का डटकर किया सामना

सीमा गोस्वामी ने बताया कि दूसरी बार एवरेस्ट को जीतने के लिए वह अपने गांव सीवन से 7 अप्रैल 2016 को निकली थी। इसके बाद 14 अप्रैल को काठमांडू से लुकला के लिए रवाना हुई और लुकला से फगडिग होते हुए नामची बाजार के रास्ते बेस कैंप में पहुंची। बेस कैंप से ही एवरेस्ट की मुख्य चढ़ाई आरंभ होती है। बेस कैंप के बारे में सीमा ने बताया कि बेस कैंप कुंभ ग्लेशियर पर वह जगह है जहां से माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी दिखाई देती है। उसे देख कर मन में जोश भर जाता है। वहां से चढ़ाई आरंभ करने के बाद सीमा के रास्ते में कई मुश्किलें आई, लेकिन डटकर सामान किया।

तिरंगा एवरेस्ट की चोटी पर फहराया था

पर्वतारोही सीमा ने बताया कि उन्होंने 20 मई 2016 को सुबह एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच कर तिरंगा एवरेस्ट की चोटी पर फहरा दिया। सीमा ने बताया वापसी में उनकी ऑक्सीजन समाप्त हो गई जिससे उनको भारी मुश्किल का सामना करना पड़ा। वह बड़ी मुश्किल से वापस पहुंची। रास्ते की कठिनाई के बारे में सीमा ने बताया कि बेस कैंप तक उन्हें खाना मिलता है, लेकिन वह शुद्ध शाकाहारी हैं तो उन्हें खाना मिलने में भी कठिनाई आई। वहां पर अधिकतर मासाहारी भोजन मिलता है। इन सब की परवाह न करते हुए अपने मिशन पर ध्यान रख और जो लक्ष्य था उसे निर्धारित किया।


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