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संस्कृत को जन-जन की भाषा बनाने का करना होगा प्रयास: धर्माणी

जागरण संवाददाता कैथल महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में आत्मनिर्भर विषय पर छात्र संवाद क

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 06:16 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 06:16 AM (IST)
संस्कृत को जन-जन की भाषा बनाने  का करना होगा प्रयास: धर्माणी
संस्कृत को जन-जन की भाषा बनाने का करना होगा प्रयास: धर्माणी

जागरण संवाददाता, कैथल : महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में आत्मनिर्भर विषय पर छात्र संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में राज्य के सूचना उपायुक्त भूपेंद्र धर्माणी मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम में हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डा. विरेंद्र चौहान मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। जबकि इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डा. श्रेयांश द्विवेदी ने की। कार्यक्रम में छात्रों से संवाद किया गया, जिसमें उन्होंने प्रश्न पूछे और सुझाव दिए।

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कार्यक्रम के मुख्यातिथि ने कहा कि आज पूरा विश्व संस्कृत की महत्ता को समझ चुका है। जर्मन, अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों में संस्कृत की मांग एवं अध्यापन कार्य बढ़ रहा है। आज के इस युग में प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं आत्मनिर्भर बनना आवश्यक है। यदि स्वयं आत्मनिर्भर होंगे तो घर, परिवार, गांव, विश्वविद्यालय, राज्य स्वयं आत्मनिर्भर बनेंगे। हर छात्र को विश्वविद्यालय के हित एवं निज क‌र्त्तव्य का पालन करना अति आवश्यक है। धर्माणी ने कहा कि जर्मनी के विद्वानों ने संस्कृत भाषा को पढ़कर उसके विचारों को ग्रहण किया है। संस्कृत को जन-जन की भाषा बनाने का हमको हमेशा प्रयास करना चाहिए ।

कार्यक्रम के डा. विरेंद्र चौहान ने छात्र-छात्राओं को अपने अध्ययन के प्रति समर्पित भाव अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि नेताजी भारत को आत्म-निर्भर बनाने का सपना देखा था। उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के पूरे प्रयास करते हुए अपने जीवन को देशहित में समर्पित किया था। कार्यक्रम में अंत में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सहायक आचार्य प्रो. सत्यप्रकाश दुबे ने सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में डा.कृष्ण कुमार, गीता द्विवेदी, रविभूषण गर्ग, दर्शन कौशिक, डा. नवीन शर्मा, रामानंद मिश्र, मदनमोहन तिवारी व अन्य सभी आचार्य मौजूद रहे।


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