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दस महीने में कंडम हो गई 19 बसें, चार साल से नहीं मिली नई बसें

रोडवेज डिपो में पिछले करीब दस माह में 19 बसें कंडम हो चुकी हैं। दस महीने पहले तक डिपो में 143 बसें होती थी जो अब 124 ही रह गई हैं। लेकिन चार सालों से डिपो को एक भी नई बस नहीं मिली है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jun 2019 10:43 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2019 10:43 AM (IST)
दस महीने में कंडम हो गई 19 बसें,  चार साल से नहीं मिली नई बसें
दस महीने में कंडम हो गई 19 बसें, चार साल से नहीं मिली नई बसें

सुनील जांगड़ा, कैथल : रोडवेज डिपो में पिछले करीब दस माह में 19 बसें कंडम हो चुकी हैं। दस महीने पहले तक डिपो में 143 बसें होती थी जो अब 124 ही रह गई हैं। लेकिन चार सालों से डिपो को एक भी नई बस नहीं मिली है। हालांकि रोडवेज महाप्रबंधक कई बार उच्चाधिकारियों को 20 नई बसों की डिमांड भेज चुके हैं। बस स्टैंड पर सवारियों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन बसों की संख्या लगातार कम हो रही है। रोडवेज बसों में रोजाना करीब 20 हजार यात्री विभिन्न रूटों पर सफर करते हैं। यात्रियों की संख्या को देखते हुए करीब 30 नई बसों की ओर जरूरत है। बसों की कमी के कारण विभिन्न गांवों में बस सेवा बंद हो चुकी है और कुछ रूटों पर बसों के चक्कर कम कर दिए गए हैं। सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल व कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को उठानी पड़ रही है।

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सीट नंबर लेने से पहले

ही भर जाती है बस

बसों की भारी कमी के चलते सीट नंबर लेने से पहले ही बस भर जाती है। इस कारण सीट बस नंबर को लेकर बस के अंदर यात्रियों में बहस बाजी हो जाती है। बस स्टैंड पर शाम के समय परेशानी ज्यादा हो जाती है। यात्रियों की संख्या ज्यादा हो जाती है। ऐसे में बस के आते ही सवारियां बस में चढ़ने का प्रयास करती हैं। महिला व बुजुर्ग यात्रियों को बस में चढ़ने से परेशानी होती है। सीट नहीं मिलने पर युवाओं को बसों की खिड़कियों में लटकना पड़ता है। इससे कोई भी हादसा होने का डर बना रहता है।

कई सालों से बंद है सिटी बस सेवा

जब बसों की संख्या ज्यादा होती थी तो सिटी बस सेवा चालू थी। बसों की कमी के कारण सिटी बस सेवा भी कई सालों से बंद पड़ी है। बस सेवा के बंद होने से स्कूल व कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों को काफी दिक्कत हो रही है। राजकीय आइटीआइ में दो किलोमीटर तक विद्यार्थी पैदल सफर करने को मजबूर हैं। शहर के अन्य कॉलेजों में जाने के लिए विद्यार्थियों को पैदल जाना पड़ता है या रोजाना ऑटो में पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।

डिपो की आमदनी हो रही प्रभावित

बसों की कमी होने के कारण डिपो की आमदनी भी प्रभावित हो रही है। मौजूदा समय में डिपो को रोजाना आठ से दस लाख रुपये की आमदनी हो रही है। अगर डिपो को 30 नई बसें मिल जाएंगे तो डिपो की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी और यात्रियों को भी ज्यादा बस सुविधा मिल सकेगी।

20 नई बसों की डिमांड भेजी है

रोडवेज महाप्रबंधक रामकुमार ने बताया कि कई सालों से नई बसें नहीं मिली हैं। दस महीने में ही 19 के करीब बसें कंडम हो चुकी है। वे कई बार उच्च अधिकारियों को 20 नई बसें भेजने की डिमांड भेज चुके हैं। फिलहाल 124 बसों के सहारे ही यात्रियों को सुविधा दी जा रही है।

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