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एक वर्ष में आठ डॉक्टरों ने छोड़ दी सरकारी नौकरी

सुरेंद्र सैनी, कैथल : वर्कलोड के चलते डाक्टर सरकारी नौकरी छोड़ रहे हैं। पिछले एक सा

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Mar 2018 05:54 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 04:53 AM (IST)
एक वर्ष में आठ डॉक्टरों ने  छोड़ दी सरकारी नौकरी
एक वर्ष में आठ डॉक्टरों ने छोड़ दी सरकारी नौकरी

सुरेंद्र सैनी, कैथल : वर्कलोड के चलते डाक्टर सरकारी नौकरी छोड़ रहे हैं। पिछले एक साल में आठ चिकित्सकों ने जहां नौकरी छोड़ दी है, वहीं दस चिकित्सक गैरहाजिर चल रहे हैं। अस्पतालों में रिक्त पड़े पदों के चलते मरीजों को इलाज के लिए जंग लड़नी पड़ रही है। रोजाना सिविल अस्पताल में 1800 से 2000 मरीजों की ओपीडी है। जिले में 131 स्वीकृत पद हैं, इनमें से 81 पद खाली पड़े हैं, जबकि 50 पदों पर ही चिकित्सक कार्यरत हैं।

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पिछले साल स्वास्थ्य विभाग को चिकित्सकों की नियुक्ति के बाद 20 चिकित्सक मिले थे, लेकिन मात्र सात चिकित्सकों ने ही दिसंबर महीने में ज्वाइन किया था। इनमें से तीन चिकित्सकों ने नौकरी छोड़ दी है, दो चिकित्सक गुहला में कार्यरत थे, एक जिला नागरिक अस्पताल में नियुक्त था। चिकित्सकों के रिक्त पड़े पदों को चलते मरीजों को खासी दिक्कत आ रही है। कई मरीज तो बिना इलाज के लिए ओपीडी से वापस लौटने पर मजबूर हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों के इलाज व गर्भवती महिलाओं को आ रही है।

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बीमारी के लिए टेस्ट को

लेकर भी मारामारी

चिकित्सक ही नहीं एलटी के रिक्त पड़े पद भी मरीजों के लिए परेशानी बन गए हैं। सुबह नौ से 12 बजे तक टेस्ट होते हैं। इसके बाद आने वाले मरीजों को बिना टेस्ट के वापस लौटना पड़ता है। दो से तीन दिन तो टेस्ट कराने व रिपोर्ट लेने में गुजर जाता है। चार से पांच दिन तक लोगों को पूरा इलाज मुश्किल से मिल पाता है। लोगों को यहां इलाज के लिए सिफारिशें लगवानी पड़ रही है। जिले में काला पीलिया व बच्चों के इलाज के लिए एक ही चिकित्सक मौजूद हैं। काला पीलिया के तो जिले में दस हजार से भी ज्यादा केस है। एक चिकित्सक पर ओपीडी, बच्चों की नर्सरी, काला पीलिया व आपरेशन थियेटर का कार्यभार होने के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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ये है चिकित्सकों के नौकरी

छोड़ने का कारण

- चिकित्सकों को सरकारी सेवाओं में वेतन कम मिलना।

-काम के दौरान राजनीति व प्रभावशाली लोगों का दबाव व मारपीट के मामले सामने आना।

-मरीजों के इलाज के दौरान मशीनों की कमी सहित अन्य सुविधा का अभाव।

-वीआइपी ड्यूटी व अदालतों के चक्करों का बोझ।

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एसएचओ के छह पद, पांच खाली

सीनियर मेडिकल अफसर के छह में से पांच पद लंबे समय से खाली पड़े हुए हैं। सीवन सीएचसी को छोड़कर कहीं भी एसएमओ नहीं है। राजौंद, कलायत, गुहला, कौल, पूंडरी में यह पद खाली पड़ा हुआ है। सीवन में डॉ. बल¨वद्र ¨सह कार्यरत है।

कहां कितने पद खाली

नाम पद कार्यरत गैरहाजिर रिजाइन रिक्त

सिविल अस्तपाल 55 18 पांच तीन 29

राजौंद सीएचसी 06 दो दो दो सात

कलायत सीएचसी 13 तीन शून्य एक नौ

सीवन सीएचसी 11 नौ शून्य शून्य दो

गुहला सीएचसी 13 12 शून्य शून्य एक

कौल सीएचसी 13 चार शून्य शून्य नौ

पूंडरी सीएचसी 13 तीन एक तीन छह

वर्जन

जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की भारी काफी कमी है। चिकित्सक कम व मरीजों की संख्या ज्यादा होने से दिक्कत आ रही है। रिक्त पदों को भरने के लिए डिमांड भेजी हुई है, उम्मीद है कि जल्द ही रिक्त पदों पर नियुक्ति हो जाएगी। वहीं जो चिकित्सक गैर जाहिर चल रहे हैं उन्हें नोटिस भेजा जाएगा।

- डॉ. अशोक चौधरी, सिविल सर्जन, कैथल।


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