निर्दलीय बनते रहे विधायक इस कारण पूंडरी का नहीं हो हुआ विकास : भाणा
पूंडरी विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी सतबीर भाणा सुबह आठ बजे से प्रचार पर निकल जाते है। मंगलवार को खेड़ी रायवाली से शुरू होकर रसूलपुर जांबा खेड़ी सिकंदर मुन्नारेहड़ी बदनारा बरसाना व पिलनी में जनसभाएं हुई। जांबा की नीम वाली चौपाल में आयोजित जनसभा में उन्होंने कहा कि वे आम आदमी की राजनीति करते है और प्रत्येक व्यक्ति से जुड़े है।
संजय तलवाड़ , पूंडरी
पूंडरी विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी सतबीर भाणा सुबह आठ बजे से प्रचार पर निकल जाते है। मंगलवार को खेड़ी रायवाली से शुरू होकर रसूलपुर, जांबा, खेड़ी सिकंदर, मुन्नारेहड़ी, बदनारा, बरसाना व पिलनी में जनसभाएं हुई। जांबा की नीम वाली चौपाल में आयोजित जनसभा में उन्होंने कहा कि वे आम आदमी की राजनीति करते है और प्रत्येक व्यक्ति से जुड़े है। अपने प्रचार के दौरान भाणा लोगों को ये कहना नहीं भूलते कि बुजुर्गो, माताओं, बहनों और भाईयों अपने छोटे भाई को एक मौका देकर देख लो, वे उनकी उम्मीदों पर खरा उतरकर दिखाएंगे।
ग्रामीण ठाठ सिंह जांबा व सन्नी वाल्मीकि ने कहा कि सतबीर उनके भाई है, चुनाव में जनता का आशीर्वाद उन्हें जरूर मिलेगा। भाणा एक जनसभा में बोले इस क्षेत्र से अब तक निर्दलीय बनते रहे हैं, इस कारण क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया। हलके के लोगों को यह परम्परा तोड़नी होगी, तभी इस क्षेत्र के विकास को गति मिल पाएगी।
गो सेवा व समाजसेवा करते-करते राजनीति में आ गए। उससे पहले राजमिस्त्री का काम भी किया और हमेशा आम लोगों से जुड़े रहे। परिवार का दूर-दूर तक राजनीति से कोई लेना देना नहीं था। लेकिन किस्मत उन्हें राजनीति में ले आई। 2014 में निर्दलीय व पहली बार चुनाव लड़े सतबीर भाणा करीब 15 हजार वोट मिले। इससे उनके हौसले बुलंद हुए और वे कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला के नेतृत्व में कांग्रेस को शामिल हो गए। सुरजेवाला से उनकी नजदीकी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने हाईकमान से केवल सतबीर के लिए टिकट मांगा। कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद सतबीर उत्साहित है और अपने जनाधार को निरंतर बढ़ाने में जुटे हुए हैं। जिस भी गांव में वे जाते है।
प्रचार में दिन-रात किया एक :
कांग्रेस प्रत्याशी सतबीर भाणा सुबह नौ बजे अपना चुनाव प्रचार शुरू कर देते है और रात बारह बजे तक वे डोर टू डोर जारी रखते है। सुबह दो रोटी खाकर घर से निकल जाते है, दोपहर व रात का हलका खाना कार्यकर्ताओं के साथ ही कर लेते है। दिन में थोड़ा फलाहार ले लेते है। 100 से 120 जगहों पर चाय के कार्यक्रम में शामिल हो जाते हैं।