सड़क के बीचों बीच बैठ जाते है बेसहारा पशु, हादसे का डर
शहर में बेसहारा पशुओं की समस्या गंभीर होती जा रही है। जिला प्रशासन और नगर परिषद की ओर से इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गोशाला संचालक पशुओं को लेने से मना कर रहे हैं और प्रशासन ने भी अपने हाथ खड़े कर रखे हैं।
जागरण संवाददाता, कैथल : शहर में बेसहारा पशुओं की समस्या गंभीर होती जा रही है। जिला प्रशासन और नगर परिषद की ओर से इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गोशाला संचालक पशुओं को लेने से मना कर रहे हैं और प्रशासन ने भी अपने हाथ खड़े कर रखे हैं। ऐसे में शहर में बेसहारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। दिन के समय भी पशु सड़कों के बीचों-बीच आकर बैठ जाते हैं, जिस कारण हादसे होने का डर बना रहता है। रात के समय परेशानी ज्यादा रहती है। काले रंग के सांड रात को सड़कों पर बैठ जाते हैं और दिखाई न देने के कारण हादसा हो जाता है।
नगर परिषद की ओर से एक साल से पशुओं को पकड़ने का टेंडर भी नहीं लगाया गया है। शहर में मुख्य पांच गोशालाएं हैं, जिनमें करीब दस हजार गोवंश रह रहा है। कोरोना के कारण गोशालाओं की हालात कुछ ठीक नहीं है, जिस कारण वे ओर पशु लेने से साफ मना कर रहे हैं। शहर में करीब 700 बेसहारा पशु हैं।
कॉलोनियों में भी गंभीर समस्या
शहर की कॉलोनियों में भी बेसहारा पशुओं की गंभीर समस्या बनी हुई है। गलियों में पशु झुंड बनाकर घूमते रहते हैं। बालाजी कॉलोनी, अमरगढ़ गामड़ी, फ्रेंड्स कॉलोनी के लोग कई बार बेसहारा पशुओं को पकड़ने की मांग प्रशासन से कर चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। गलियों में छोटे बच्चे भी खेलते रहते हैं। ऐसे में घूमने वाले सांड कभी भी किसी छोटे बच्चे को घायल कर सकते हैं।
पशुओं की समस्या बनी हुई है
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि बेसहारा पशुओं की समस्या बनी हुई है। गोशाला संचालक ओर पशुओं को लेने से मना कर रहे हैं। इस बार में प्रशासनिक अधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा जाएगा।