डेरा बाबा राजपुरी के महंत की गद्दी को लेकर कोर्ट में सुनवाई कल
बाबा लदाना गांव स्थित डेरा बाबा राजपुरी के महंत की गद्दी के लिए कोर्ट में कल सुनवाई होगी। हालांकि इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन वकीलों का वर्क सस्पेंड होने के कारण सुनवाई नहीं हो पाई थी। साधु समाज ने कोर्ट के फैसले पर नजरें जमाए बैठे हैं।
जागरण संवाददाता, कैथल : बाबा लदाना गांव स्थित डेरा बाबा राजपुरी के महंत की गद्दी के लिए कोर्ट में कल सुनवाई होगी। हालांकि इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन वकीलों का वर्क सस्पेंड होने के कारण सुनवाई नहीं हो पाई थी। साधु समाज ने कोर्ट के फैसले पर नजरें जमाए बैठे हैं।
महंत दूजपुरी और महंत प्रेमपुरी गद्दी पर बैठना चाहते हैं। दोनों ही इसके लिए प्रयास भी कर रहे हैं। गांव के लोग भी दो गुटों में बंटे हुए हैं। एक गुट महंत दूजपुरी को तो दूसरा गुट महंत प्रेमपुरी को गद्दी पर बैठाना चाहता है। महंत की गद्दी को लेकर लंबे समय से संघर्ष चल रहा है। कुछ दिन पहले एसडीएम कोर्ट ने महंत दूजपुरी के पक्ष में फैसला सुनाया था। फैसला सुनाने के महंत को गद्दी नहीं दी गई तो प्रेमपुरी ने फैसले पर कोर्ट से स्टे ले लिया। एक बार मामले में सुनवाई भी हो चुकी है। उसके बाद शुक्रवार को सुनवाई का दिन रखा गया था। गद्दी पर कब्जा दिलाने के लिए महंत दूजपुरी धरने प्रदर्शन भी कर चुके हैं, लेकिन उन्हें गद्दी नहीं दिलाई गई थी।
फिलहाल प्रशासन के अधीन है डेरा
डेरे को चलाने के लिए प्रशासन ने अपने अधीन लिया हुआ है। नायब तहसीलदार को इसके लिए नियुक्त किया गया है। डेरे की हर गतिविधि अब प्रशासन की देख रेख में हो रही है। डेरे के नाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन और पशु हैं, जिनका हिसाब किताब अब प्रशासन के अधिकारी ही कर रहे हैं। पांच सौ साल पुराना है डेरा
गद्दी को लेकर अप्रैल माह से विवाद चल रहा है। दोनों पक्ष कोर्ट में जा चुके हैं और कई बार गांव के लोगों की पंचायतें भी हो चुकी हैं। पंचायतों में भी कोई फैसला नहीं हो सका था। यह डेरा करीब पांच सौ वर्ष पुराना है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था डेरे से जुड़ी हुई है। आसपास के सैकड़ों गांव यहां पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। पशुओं में सुख शांति के लिए यह डेरा देश भर में प्रसिद्ध है। दशहरा पर्व से अगले दिन यहां तीन दिनों तक मेला लगता है। इसमें न केवल हरियाणा से बल्कि पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली से श्रद्धालु मेले में पहुंचते हैं। इस बार मेला प्रशासन की देखरेख में हुआ था।