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डिप्टी सीएम की बड़े साहब के साथ गुफ्तगू

कलायत में मौका था गुरु रविदास जयंती का यहां पर प्रदेश के डिप्टी मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे थे। कार्यक्रम शाम को खत्म हुआ था। इसके बाद डिप्टी सीएम ने कैथल में अंबाला रोड स्थित पीडब्लयूडी रेस्ट हाउस में कार्यकर्ताओं से रूबरू होने के लिए पहुंचना था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 09:28 AM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 09:28 AM (IST)
डिप्टी सीएम की बड़े साहब के साथ गुफ्तगू
डिप्टी सीएम की बड़े साहब के साथ गुफ्तगू

कलायत में मौका था गुरु रविदास जयंती का, यहां पर प्रदेश के डिप्टी मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे थे। कार्यक्रम शाम को खत्म हुआ था। इसके बाद डिप्टी सीएम ने कैथल में अंबाला रोड स्थित पीडब्लयूडी रेस्ट हाउस में कार्यकर्ताओं से रूबरू होने के लिए पहुंचना था। डिप्टी सीएम के आगमन को लेकर बड़े साहब उनके इंतजार में भी रहे। इस दौरान बड़े साहब ने डिप्टी सीएम के आगमन के दौरान एक घंटे तक इंतजार भी किया। जब डिप्टी सीएम विश्राम गृह में पहुंचे तो उन्होंने आते ही 30 मिनट तक बंद कमरे में बड़े साहब से गुफ्तगू की। गुफ्तगू को लेकर अटकलों का बाजार काफी गर्म रहा और बाहर मौजूद जजपा के कार्यकर्ताओं में यह उम्मीद जगी की कि अब उनकी भी सुनवाई होने लगेगी।

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गुरुजी काम धंधा छोड़ प्रसिद्धि में जुटे

रेडक्रॉस संस्था की ओर से विद्यार्थियों को प्रथम उपचार का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी प्रशिक्षण के तहत संस्था की ओर से समय समय पर कई शिविरों का भी आयोजन किया जाता है। हाल ही में जूनियर और सीनियर वर्ग में प्रशिक्षण शिविर लगाए गए थे। शिविर का आयोजन में गुरुजी की ओर से एक अहम रोल अदा किया जाता है। गुरुजी पेशे से तो अध्यापक है, लेकिन शिविरों के आयोजनों में वह ऐसे जुटे कि उन्हें अब अपने विद्यार्थियों से कोई मतलब नहीं है, उन्हें तो बस शिविरों के माध्यम से अपनी प्रसिद्धि अधिक चाहिए। गुरुजी को यह बात बिल्कुल भी नागवार सी लगती है, जब उनके सामने उनके ही स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाने की बात आए जाए। गुरुजी तो बस अपनी प्रसिद्धि ही चाहते हैं, ऐसे में प्रशिक्षिण शिविर उनकी प्रसिद्धि का एक सशक्त माध्यम बना है।

महाशय पर दवाब बढ़ा तो हो गए रफूचक्कर

शहर के एक महाशय आजकल हेराफेरी फिल्म के अक्षय कुमार की तरह चर्चा में हैं। इस महाशय ने सोचा तो यह था कि लोगों से रुपये लेकर खुद मालामाल हो जाएंगे, लेकिन वक्त का ऐसा फेरा बदला ही वे स्वयं ही कंगाल हो गए। पहले तो लेनदारों को टरकाते रहे है, जब दवाब अधिक हुआ तो वह शहर से ही रफूचक्कर हो गए। अब उसके हाथों लूटे लोग हाथ मल रहे हैं। महाशय पिछले कुछ महीने पहले काफी सुर्खियों में रहे, उन्होंने अपने बलबूते काफी प्रसिद्धि भी हासिल की। लेकिन कुछ महीने पहले महाशय बेवजह ही बदनाम हो गए है और उन पर पैसों के लेन देन को लेकर धोखेबाजी का आरोप भी लगा। अब आरोप लगने के बाद महाशय को काफी धक्का लगा। अब महाशय भी क्या करें।

चाबी पै पड़ गया रौला, पुलिस विभाग अनजान

शिक्षा विभाग के आवेदन पर सभी निजी और राजकीय कन्या विद्यालय में छात्राओं की सुरक्षा के तहत शिकायत पेटी लगवाई गई थी। कुछ दिन पहले कोर्ट के आदेशों पर स्कूलों में लगी शिकायत पेटी को खोलने के पुलिस विभाग को आदेश हुए थे, इस दौरान पुलिस विभाग के कर्मचारी स्कूल में शिकायत पेटी खोलने के पहुंचे तो उन्हें शिकायत पेटी की चाबी ही नहीं मिली। अब चाबी नहीं मिलने पर शिक्षा और पुलिस विभाग में खींचतान हो गई हो गई है। शिक्षा विभाग को जहां चाबी को लेकर कोई पत्र नहीं मिल रहा है, वहीं पुलिस विभाग भी इस पर अनजान बना है। अब सवाल तो यह है कि आखिर जब शिकायत पेटी को खोला ही नहीं जा सकता तो इसका स्कूलों में लगाने का क्या लाभ है। दोनों विभागों में बनी खींचतान के बीच शिकायत पेटी में आई हुई शिकायतें और सुझाव नहीं निकल पा रहे हैं।

प्रस्तुति: कमल बहल, कैथल।


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